Diwali 2025 Date: 21 अक्टूबर को उदया तिथि लेकिन सूर्यास्त से पहले खत्म हो रही अमावस्या, 20 अक्टूबर को ही मनेगी दिवाली

Diwali 2025 Date: दिवाली के त्योहार की सही तारीख को लेकर इस साल भी लोगों में भ्रम बना हुआ है। ऐसे में उज्जैन के ज्योतिषाचार्यों ने तिथि और समय की दुविधा का समाधान बताया है। इनका कहना है कि दिवाली का त्योहार 20 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा। आइए इसके बारे में और जानें

अपडेटेड Oct 09, 2025 पर 12:48 PM
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ज्योतिषाचार्यों ने एकमत से कहा है कि दीपावली का पर्व इस साल 20 अक्टूबर के दिन ही मनाया जाएगा।

Diwali 2025 Kab Hai: दिवाली का त्योहार साल के प्रमुख और बड़े त्योहारों में से एक है। इस साल इसकी सही तारीख को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। लेकिन, इस साल अमावस्या की तिथि दो दिन पड़ने की वजह से इस त्योहार की सही तारीख पर असमंजस बना हुआ है। मगर, देश के प्रमुख क्षेत्रों के ज्योतिषाचार्यों ने एकमत से कहा है कि दीपावली का पर्व इस साल 20 अक्टूबर के दिन ही मनाया जाएगा। बता दें, पिछले 25 साल में दिवाली का त्योहार तीसरी बार सोमवार के दिन मनाया जाएगा। इसके अलावा, पिछले 25 साल में अक्टूबर में 11 बार दीपावली मनी, जबकि इतने सालों में नवंबर में 13 बार दीपावली मनाई जा चुकी है।

काशी, उज्जैन और भोपाल के ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि कार्तिक मास की अमावस्या की तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3.44 बजे से लग रही है, लेकिन ये अगले दिन 21 अक्टूबर को शाम 5.43 बजे सूर्यास्त से पहले समाप्त हो जा रही है। इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन का कोई मतलब नहीं हैं। जबकि 20 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष और निशीथ काल होने की वजह से इसी दिन लक्ष्मी पूजन शुभ माना जाएगा। इस साल दिवाली के दिन हस्त नक्षत्र के साथ रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। इसलिए ये त्योहार 20 अक्टूबर के दिन मनाना बहुत शुभ रहेगा। इसके अलावा, उज्जैन के महाकाल मंदिर में भी दिवाली का पर्व 20 अक्टूबर के दिन ही मनाया जाएगा। आइए जानें दिवाली से जुड़े सवालों के जवाब

20 अक्टूबर को ही क्यों होगी दिवाली?

दीपावली पर लक्ष्मी पूजन अमावस्या तिथि की रात, प्रदोष और निशीथ काल में होता है। इस बार अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर शाम 5:43 बजे तक रहेगी। 20 को ही अमावस्या तिथि प्रदोष और रात्रिकाल में रहेगी। इसलिए इसी दिन दीपावली का पर्व मनान उचित रहेगा।

क्यों जरूरी है प्रदोष व निशीथ काल की पूजा?

दिवाली के दिन इस समय को लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त से लगभग 1.5-2 घंटे पहले और बाद का समय होता है, जिसे शुभ माना जाता है। निशीथ काल आधी रात का समय होता है, लगभग रात 12 बजे से 1:30 बजे तक।


21 अक्टूबर को क्यों न करें दिवाली?

21 अक्टूबर को अमावस्या की उदया तिथि मिल रही है, लेकिन ये सूर्यास्त से पहले ही खत्म हो रही है। वहीं लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ प्रदोष काल और निशीथ काल का समय भी नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि इसके बाद प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। दीपावली पूजन अमावस्या की रात को ही होता है, इसलिए 21 को नहीं होगा।

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