Devutthani Ekadashi 2025: इस दिन योग निद्रा से बाहर आएंगे भगवान विष्णु और शुरू होंगे मांगलिक कार्य

Devutthani Ekadashi 2025: माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन सुखमय होता है। इस दिन से विवाह के अतिरिक्त उपनयन, गृह प्रवेश आदि अनेक मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।

अपडेटेड Oct 09, 2025 पर 8:00 AM
Story continues below Advertisement
इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवउठनी एकादशी तिथि 01 नवंबर को होगी।

Devutthani Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में सभी एकादशी तिथि का बहुत महत्व है। लेकिन कुछ एकादशी तिथियों का महत्व और भी ज्यादा है, जैसे देवउठनी एकादशी। हिंदू कैलेंडर के चंद्र मास के दौनों पक्ष में एकादशी तिथि आती है, जिस पर भक्त व्रत और पूजा-पाठ करते हैं। इस तरह हिंदू वर्ष में 24 एकादशी तिथियां आती हैं। ये तिथि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित होती है। हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का महत्व इसलिए अधिक है, क्योंकि इस दिन सृष्टि के संचालक भगवान श्रीहरि विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागकर संसार का कार्यभार संभालते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन सुखमय होता है। इस दिन से विवाह के अतिरिक्त उपनयन, गृह प्रवेश आदि अनेक मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। आइए जानते हैं कब मनाई जाएगी देवउठनी एकादशी तिथि।

01 नवंबर को है देवउठनी एकादशी

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 01 नवंबर की सुबह 09: 11 बजे शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 02 नवंबर को सुबह 07: 31 बजे होगा। इस तरह 01 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी और इसी दिन इसका व्रत भी रखा जाएगा।

देव उठनी एकादशी पूजा विधि

  • देव उठनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
  • घर और मंदिर को साफ करें।
  • एक वेदी का तख्ता लें और उसमें श्रीयंत्र के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का चित्र या प्रतिमा रखें।
  • देसी घी का दीपक जलाएं।
  • फूल, माला, चंदन, मिठाई, फल और तुलसी पत्र आदि अर्पित करें।
  • गौधूलि बेला के समय गेरू से एकादशी की प्रतिमा बनाएं और श्री हरि की विधिवत पूजा करें।
  • एकादशी कथा का पाठ करें और आरती से पूजा को पूरा करें।
  • अगली सुबह ब्राह्मणों को क्षमतानुसार दान दें।


देव उठनी एकादशी का महत्व

देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु शयन अवस्था से जागते हैं। इस दिन चतुर्मास का समापन होता है और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इसी दिन से तुलसी विवाह और धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजनों शुरू होते हैं। देव उठनी हिंदू धर्म में सबसे पुण्यकारी एकादशी मानी गई है।

Dhanteras 2025: धनतेरस पर पाना चाहते हैं मां लक्ष्मी का आशीर्वाद, तो न करें इन चीजों की खरीदारी

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।