Sankashti Chaturthi: हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का काफी महत्व होता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा होती है और एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी रखा जा रहा है, जो भगवान गणेश के एकदंत स्वरूप को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की विशेष पूजा करते हैं और संकटनाशक मंत्रों का जाप करते हैं। इस साल एकदंत संकष्टी चतुर्थी 16 मई 2025, शुक्रवार को मनाई जा रही है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की एकदंत रूप की पूजा-अर्चना की जाती है।
मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन के दुख और परेशानियां दूर होती हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है।
क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। सुबह ब्रह्म मुहूर्त 4:06 से 4:48 तक रहेगा, जबकि पूजा के लिए अमृत काल 9:11 से 10:55 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, अभिजित मुहूर्त 11:50 से 12:45 तक, विजय मुहूर्त 2:34 से 3:28 तक, गोधूलि मुहूर्त 7:04 से 7:25 तक और सायंकालीन संध्या 7:06 से 8:08 तक रहेगी। इन समयों में भगवान गणेश की आराधना करना शुभ और फलदायी माना जाता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 16 मई 2025 को सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 17 मई 2025 को सुबह 05 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। संकष्टी के दिन चंद्रोदय रात 10 बजकर 39 मिनट पर होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार भगवान परशुराम ने क्रोधित होकर अपने फरसे से श्रीगणेश पर वार कर दिया था, जिससे उनका एक दांत टूट गया था। तभी से उन्हें "एकदंत" कहा जाने लगा। एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के इस विशेष रूप की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा करने से जीवन के कष्ट कम होते हैं और सुख-समृद्धि का मार्ग खुलता है।
संकष्टी चतुर्थी के व्रत का महत्व
संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से जीवन में आ रही परेशानियां, बीमारियां और दोष दूर होने लगते हैं। माना जाता है कि भगवान गणेश की कृपा से सभी संकट खत्म हो जाते हैं और जीवन में शुभता और सकारात्मकता बनी रहती है। यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। खासकर एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत संतान की लंबी उम्र और उसके कल्याण के लिए किया जाता है।