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Ganesh Visarjan 2025: घर पर कर रहे हैं विजर्सन करते समय इन नियमों का ध्यान रखें, जानें उत्तरण पूजा की विधि

Ganesh Visarjan 2025: गणेश चतुर्थी के दिन धूमधाम से बप्पा का स्वागत करने के बाद 10वें दिन मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। अगर आप घर पर ही बप्पा की मूर्ति का विसर्जन कर रहे हैं, तो यहां बताए इन नियमों का पालन करना जरूरी है। जानें उत्तरण पूजा के नियमों के बारे में

अपडेटेड Sep 01, 2025 पर 9:18 PM
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घर पर विसर्जन से पहले यहां बताई विधि से करें उत्तरण पूजा ।

Ganesh Visarjan 2025: गणेश चतुर्थी का उत्सव पूरे देश में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है और उसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है। हालांकि, भक्त अपनी सामर्थ्य और श्रद्धानुसार अनंत चतुर्दशी से पहले डेढ़, तीन, पांच या सात दिन पर भी बप्पा की मूर्ति को विसर्जित करते हैं।

गणपति विसर्जन एक भावुक पल होता है। इसमें भक्त भगवान के अपने घर पधारने के लिए आभार जताते हैं और अगले वर्ष फिर आने का निवेदन करते हें। गणपति विसर्जन पूरे विधि-विधान, श्रद्धा के साथ किया जाता है। अगर आप भी अपने घर बप्पा को लेकर आए हैं तो कुछ नियमों का पलन करना जरूरी होता है। आप भी घर में विसर्जन कर रहे हैं, तो सही विधि के बारे में जान सकते हैं।

इस तरह करें विसर्जन

  • विसर्जन से पहले अंतिम पूजा यानी उत्तरण पूजा करें।
  • इसके बाद भगवान गणेश की आरती करें।
  • गणपति को मोदक, फल, पंचामृत, नारियल का भोग अर्पित करें।
  • धीरे से भगवान की मूर्ति से सजावट सामग्री (फूल, वस्त्र) हटा लें।
  • अब एक साफ बाल्टी या टब में साफ पानी भरें।
  • भगवान गणेश से पूजा के दौरान हुई भूल-चूक के लिए माफी मांगें और उनसे अगले साल फिर आने का निवेदन करें।
  • 'गणपति बाप्पा मोरया, पुढच्या वर्षी लवकर या!' के जयकारे के साथ मूर्ति को धीरे-धीरे पानी में विसर्जित करें।
  • मिट्टी की बनी मूर्ति के पानी में घुलने के बाद उस पानी को गमले या पेड़ के नीचे डाल सकते हैं।
  • जो फूल और सजावट की चीजें मिट्टी में दबा सकते हैं।
  • पूजा स्थान को साफ करें और एक दीपक जलाकर धन्यवाद अर्पित करें।

क्या है उत्तरण पूजा


भगवान गणेश के विसर्जन से ठीक पहले की जाने वाली पूजा को उत्तरण पूजा कहते हैं। इसमें भक्त भगवान से आभार व्यक्त करते हैं, क्षमा मांगते हैं यदि कोई त्रुटि हुई हो, और उनसे अगले वर्ष फिर पधारने की प्रार्थना करते हैं।

उत्तरण पूजा की विधि

  • सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें और कहें- ॐ गणाध्यक्षाय नमः। गणपतये नमः। फिर विसर्जन से पहले भगवान गणेश की उत्तरण पूजा का संकल्प लें।
  • इसके बाद आवाहन मंत्र बोलें- हे गणेश जी, आपने इन दिनों हमारे घर में निवास किया, हमें आनंद, सुख और समृद्धि प्रदान की। हम आपके आभारी हैं।
  • फिर बप्पा को फूल, चावल, मिठाई अर्पित करें।

फिर उत्तरण मंत्र

"गणपतये नमः, प्रतिदिन पूजनं कृतं, यथा शक्ति कृतं मया। तत्सर्वं त्वं प्रसन्नो भूत्वा गृहाण गणनायक। आगतं त्वं यथा पूर्वं, गमिष्यसि तथैव च। पुनरागमनाय च प्रार्थयामि नमो नमः॥" पढ़ें और आरती करें।

इस मंत्र के साथ करें विसर्जन

विसर्जन के लिए एक सामान्य और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मंत्र है- 'ॐ यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्। इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥', जिसका अर्थ है, 'हे देवों के गण, मेरी पूजा स्वीकार करके अपने स्थान पर जाएं, और मेरे मनोरथों की पूर्ति के लिए पुनः पधारें'। इस मंत्र के साथ ही, आप 'गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ, स्वस्थाने परमेश्वर।' मंत्र का भी उपयोग कर सकते हैं, जिसका अर्थ है 'हे सुरश्रेष्ठ! अपने स्थान पर लौट जाएं, हे परमेश्वर! मेरे द्वारा की गई पूजा को स्वीकार करें और अगली बार फिर से पधारें।'

कलश का जल जमीन के पौधों में डालें

बप्पा की पूजा में स्थापित कलश और उसमें रखे नारियल का विशेष ध्यान रखें। नारियल अगले दिन फोड़कर उससे गुड़ और चावल के साथ मीठा पोंगल, मोदक या कोझुकट्टई जैसी कोई मिठाई बना कर घर में देवताओं को अर्पित कर सकते हैं। कलश का जल जमीन पर लगे पौधों (गमलों में लगे पौधों को नहीं) को अर्पित करना चाहिए।

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