Ganesh Visarjan 2025: गणेश चतुर्थी का उत्सव पूरे देश में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है और उसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है। हालांकि, भक्त अपनी सामर्थ्य और श्रद्धानुसार अनंत चतुर्दशी से पहले डेढ़, तीन, पांच या सात दिन पर भी बप्पा की मूर्ति को विसर्जित करते हैं।
गणपति विसर्जन एक भावुक पल होता है। इसमें भक्त भगवान के अपने घर पधारने के लिए आभार जताते हैं और अगले वर्ष फिर आने का निवेदन करते हें। गणपति विसर्जन पूरे विधि-विधान, श्रद्धा के साथ किया जाता है। अगर आप भी अपने घर बप्पा को लेकर आए हैं तो कुछ नियमों का पलन करना जरूरी होता है। आप भी घर में विसर्जन कर रहे हैं, तो सही विधि के बारे में जान सकते हैं।
भगवान गणेश के विसर्जन से ठीक पहले की जाने वाली पूजा को उत्तरण पूजा कहते हैं। इसमें भक्त भगवान से आभार व्यक्त करते हैं, क्षमा मांगते हैं यदि कोई त्रुटि हुई हो, और उनसे अगले वर्ष फिर पधारने की प्रार्थना करते हैं।
"गणपतये नमः, प्रतिदिन पूजनं कृतं, यथा शक्ति कृतं मया। तत्सर्वं त्वं प्रसन्नो भूत्वा गृहाण गणनायक। आगतं त्वं यथा पूर्वं, गमिष्यसि तथैव च। पुनरागमनाय च प्रार्थयामि नमो नमः॥" पढ़ें और आरती करें।
इस मंत्र के साथ करें विसर्जन
विसर्जन के लिए एक सामान्य और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मंत्र है- 'ॐ यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्। इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥', जिसका अर्थ है, 'हे देवों के गण, मेरी पूजा स्वीकार करके अपने स्थान पर जाएं, और मेरे मनोरथों की पूर्ति के लिए पुनः पधारें'। इस मंत्र के साथ ही, आप 'गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ, स्वस्थाने परमेश्वर।' मंत्र का भी उपयोग कर सकते हैं, जिसका अर्थ है 'हे सुरश्रेष्ठ! अपने स्थान पर लौट जाएं, हे परमेश्वर! मेरे द्वारा की गई पूजा को स्वीकार करें और अगली बार फिर से पधारें।'
कलश का जल जमीन के पौधों में डालें
बप्पा की पूजा में स्थापित कलश और उसमें रखे नारियल का विशेष ध्यान रखें। नारियल अगले दिन फोड़कर उससे गुड़ और चावल के साथ मीठा पोंगल, मोदक या कोझुकट्टई जैसी कोई मिठाई बना कर घर में देवताओं को अर्पित कर सकते हैं। कलश का जल जमीन पर लगे पौधों (गमलों में लगे पौधों को नहीं) को अर्पित करना चाहिए।