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Pitra Paksh 2025: श्राद्ध में इन नियमों का पालन नहीं करने वालों को नहीं मिलता पितरों का आशीर्वाद, जानें इनके बारे में

Pitra Paksh 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व है। 15-16 दिनों की अवधि हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से शुरू होती है और आश्विन मास की अमावस्या तक रहती है। इस दौरान कुछ नियमों का सख्ती से पालन करने का विधान है। आइए जानें इनके बारे में सब कुछ

अपडेटेड Sep 01, 2025 पर 1:24 PM
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पितृ पक्ष के नियमों को नहीं मानने वालों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

Pitra Paksh 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष की अवधि को पूरे साल में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान लोग अपने पितरों की पूजा करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण विधि करते हैं। यह अवधि 15-16 दिनों की होती है, जिसकी शुरुआत हर साल भाद्रपद मास की पर्णिमा से होती है। पितृ पक्ष का समापन सर्वपितृ विसर्जन के साथ आश्विन मास की अमावस्या को होता है। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर के दिन से हो रही है और इसका समापन 21 सितंबर को होगा। माना जाता है कि इस अवधि में पितर अपने वंशजों को देखने के लिए धरती पर आते हैं। इस दौरान उनका श्राद्ध और तर्पण करने से उनका आशीर्वाद मिलता है और सभी कष्ट दूर होते हैं। पितृ पक्ष के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य माना जाता है। इन नियमों को नहीं मानने पर कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

इस दिन से शुरू होगा पितृ पक्ष

पूर्णिमा तिथि शुरू : 7 सितंबर 2025 मध्यरात्रि 1.41 बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त : 7 सितंबर 2025 देर रात 11.38 बजे

ये नियम जरूर मानें


  • पितृ पक्ष के दौरान मांसाहार का सेवन करने से बचना चाहिए। मान्यता है कि इस अवधि में पितृ किसी भी जीव के रूप में हमारे पास आते हैं। इसलित पितृपक्ष में किसी पशु, पक्षी या जीव-जंतु को किसी भी रूप में मारना या कष्ट नहीं देना चाहिए।
  • पितृ पक्ष के दौरान दाढ़ी –मूंछ, नाखून और बालों को नहीं काटना चाहिए।
  • इस दौरान लहसुन, प्याज, चना, सत्तू, मसूर और उड़द की दाल का सेवन भी नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इनके सेवन से पितृदोष पैदा हो सकता है।
  • पितृ पक्ष में शादी, सगाई मुंडन या गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। इसके अलावा कोई भी नया प्रोजेक्ट, नया घर या नई गाड़ी भी नहीं खरीदनी चाहिए।
  • इस अवधि में बैंगन, खीरा, मूली, अरबी, गाजर, सरसों का साग और जमीन में उगने वाली सब्जियों को भी नहीं खाना चाहिए। माना जाता है कि इनमें तमो गुण अधिक होते हैं।

पितृ पक्ष का महत्व

हिन्दू धर्म में किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका श्राद्ध कर्म करना बहुत जरूरी माना जाता है। ऐसा नहीं करने से मृत व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। श्राद्ध कर्म वंशजों द्वारा किया जाने वाला महत्वपूर्ण कर्मकांड है।

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