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Vaman Jayanti 2025: 4 सितंबर को होगी भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा, जानें व्रत विधि और पूजा का शुभ मुहूर्त

Vaman Jayanti 2025: यह दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार को समर्पित है। इस दिन को वामन द्वादशी भी कहते हैं, क्योंकि यह पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। आइए जाने इस दिन होने वाले व्रत की विधि और पूजा का शुभ मुहूर्त

अपडेटेड Sep 01, 2025 पर 11:11 AM
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4 सितंबर को किया जाएगा भगवान विष्णु के वामन अवतार का व्रत।

Vaman Jayanti 2025: भगवान विष्णु के वामन अवतार को समर्पित यह व्रत वामन द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान श्रीहरि का पांचवां अवतार था। यह व्रत हर साल दो बार किया जाता है, चैत्र शुक्ल पक्ष की द्वादशी को और भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का व्रत इस साल 4 सितंबर के दिन मनाया जाएगा। यह पर्व श्रवण नक्षत्र और अभिजीत मुहूर्त में मनाया जाता है। वामन द्वादशी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। माना जाता है कि इस दिन श्री हरि के वामन अवतार की पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। वहीं, भगवान वामन को चढ़ाए शहद का रोज सेवन करने से हर प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।

वामन द्वादशी पूजा का शुभ मुहूर्त

इस साल भाद्रपर मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 4 सितंबर को सुबह 4 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी। उदया तिथ के अनुसार वामन जयंती का व्रत इसी दिन किया जाएगा। यह तिथि 5 सितंबर को सुबह 4 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी। यह त्योहार श्रवण नक्षत्र में तो इस दिन यह नक्षत्र 4 सितंबर को रात 11 बजकर 44 मिनट से लेकर 5 सितंबर रात 11 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।


वामन द्वादशी का महत्व

वामन द्वादशी को बुराई पर अच्छाई और अहंकार पर भक्ति की जीत के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। इस दिन श्री हरि धरती पर एक ब्राह्मण के रूप में प्रकट हुए थे। वामन देव के रूप में यह उनका पांचवां अवतार था। वह उनका ये अवतार देवताओं और राक्षसों के बीच शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए हुआ था। वामन द्वादशी पर वामन देव की पूजा होती है।

व्रत विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा स्थान को शुद्ध करें।
  • भगवान वामन की पूजा के लिए उनकी प्रतिमा को एक वेदी पर स्थापित करें।
  • प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करवाएं।
  • भगवान वामन को हल्दी का तिलक लगाएं, पीले फूलों की माला पहनाएं और पीले वस्त्र अर्पित करें।
  • दीपक जलाएं और भगवान वामन को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  • पूरे दिन का उपवास कर शाम को वामन कथा का पाठ करें।
  • आरती से पूजा को सम्पन्न करें।
  • इस दिन कुछ दान-पुण्य जरूर करें।

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