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Guru Purnima 2025: आसमान में दिखेगा बक मून, जानिये क्या है इसका अर्थ और क्यों पड़ा ये नाम

गुरु पूर्णिमा 2025 10 जुलाई को पूरे देश में मनाई जायेगी। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा का महत्व होने के साथ ही गुरु पूर्णिमा का विशेष स्थान है। गुरु पूर्णिमा पर जुलाई में आने वाले फुल मून को अमेरिका के कुछ क्षेत्रों में ‘बक मून’ कहते हैं। आइये जानते हैं क्या है बक मून और हिरन से इसका क्या संबंध है

अपडेटेड Jul 09, 2025 पर 11:34 PM
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हर माह पड़ने वाली पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है और गुरु पूर्णिमा का विशेष स्थान है। इस साल गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई को पूरे देश में मनायी जायेगी। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये दिन गुरुओं को समर्पित होता है। इस बार का पर्व इसलिए अहम है, क्योंकि इस दिन आसमान में चांद सबसे बड़ा और चमकीला दिखाई देगा। अमेरिका के कुछ हिस्सों में इसे ‘बक मून’ और ‘थंडर मून’ भी कहते हैं।

अलग-अलग संस्कृतियों में जुलाई में आने वाली पूर्णिमा को अलग-अलग नाम दिए गए हैं। भारत में यह पूर्णिमा गुरु शिष्य परंपरा के अटूट रिश्ते के प्रतीक के रूप में मनायी जाती है। अमेरिका और कुछ पश्चिमी देशों में इसे बक मून और थंडर मून कहते हैं। धार्मिक महत्व से अलग खगोल विज्ञानियों के लिए ये एक बड़ी घटना है। बक मून को 10 जुलाई की पूरी रात आसमान देखा जा सकता है। इसका यह नाम कैसे पड़ा और हिरन से इसका क्या संबंध है, आइए जानते हैं पूरी कहानी।

क्यों कहते हैं बक मून

ये नेटिव अमेरिकी नाम है। उत्तरी अमेरिका में नर हिरणों की सींगों को बक कहते हैं जो कई बार गिरते और उगते रहते हैं, लेकिन जुलाई में इनकी ग्रोथ पूरी होती है। जुलाई में फुल मून दिखने का समय हिरण की सींगों के पूरी तरह से उगने के समय से मेल खाता है। इसलिए जुलाई के फुल मून को बक मून कहा जाता है।

कैसे देखें बक मून को

बक मून का नजारा लेने के लिए सबसे जरूरी है आसमान का साफ होना। पूर्णिमा होने की वजह से यूं तो पूरी रात इसके दर्शन किये जा सकते हैं, लेकिन भारतीय समयानुसार 11 जुलाई की सुबह 2.08 बजे ये अपने चरम पर होगा। ये फुल मून पूरे भारत में बिना किसी उपकरण के देखा जा सकता है।


जुलाई के फुल मून का एक नाम थंडर मून भी

अमेरिकी पत्रिका ओल्ड फार्मर्स अल्मनैक के मुताबिक कुछ अमेरिकी जनजातियां जुलाई के फुल मून को इस माह आने वाले बड़े तूफानों से जोड़ती हैं। इसलिए इसे थंडर मून भी कहा जाता है। जुलाई की पूर्णिमा की कहानी जितनी रोचक है, उतना ही चमकदार इसका चांद भी होता है। गुरु पूर्णिमा का चांद सामान्य से बड़ा और चमकीला होगा।

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