हर साल सावन के शुक्ल की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन कई वर्षों की घोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने मां पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इस दिन को शादीशुदा और अविवाहित महिलाएं दोनों ही मनाती हैं। मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से शिव-पार्वती की पूजा करने से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस साल ये त्योहार कल यानी 27 जुलाई को मनाया जाएगा।
इस दिन के कार्यक्रमों की शुरुआत सूरज निकलने के साथ ही हो जाती है। महिलाएं सुबह से ही पूजा की तैयारी और सोलह श्रंगार करती हैं। शाम को झूला झूलती हैं और परिवार व आस-पाड़ोस की महिलाओं के साथ उत्सव मनाती हैं। इस दिन कई जगहों पर निर्जला व्र करने का भी विधान है। इसमें में कुछ जगहों पर जहां चांद का दर्शन करने के बाद व्रत का पारण हो जाता है, वहीं कुछ लोगों में अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत के पारण की सही विधि और तारीख
हरियाली तीज के दिन व्रत करने वाली महिलाएं उसका पारण उसी दिन शाम की पूजा के बाद रात में चन्द्रास्त से पहले करती हैं। इस दौरान, व्रत का पारण करने से पहले चंद्र देव की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। ध्यान रहे शाम को व्रत का पारण चंद्रास्त से पहले किया जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत 27 जुलाई 2025 को किया जाएगा। जानिए 27 जुलाई से लेकर 28 जुलाई को सूर्योदय का सही समय
रात में इस विधि से करें व्रत का पारण
हरियाली तीज के व्रत का पारण भगवान शिव, देवी पार्वती और चंद्र देव की पूजा करने के बाद किया जाता है। चंद्र देव को जल से अर्घ्य दें और उन्हें खीर, घेवर, सूजी का हलवा, पंचमेवा या मालपुआ का भोग लगाएं। पूजा करने के बाद चंद्र देव की आरती करें और उन्हें अर्घ्य दें। पूजा समाप्त होने के बाद चंद्र देव को चढ़ाया हुआ प्रसाद खाकर पानी पिएं। इसके बाद सात्विक भोजन कर व्रत का पारण करें।
हरियाली तीज के व्रत का पारण सुबह इस विधि से करें
कुछ महिलाएं हरियाली तीज के व्रत का पारण सुबह करती हैं। सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और शिव-पार्वती की पूजा करें। उन्हें खीर, घेवर, सूजी का हलवा, पंचमेवा या मालपुआ का भोग लगाएं और उनकी आरती करें। पूजा संपन्न होने के बाद शिव-पार्वती जी को चढ़ाया हुआ प्रसाद खाएं और पानी पिएं। इसके बाद सात्विक भोजन कर व्रत का पारण करें।