Hindu New Year 2026: 01 जनवरी से शुरू नहीं होता है हिंदू नववर्ष, जानें इससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में

Hindu New Year 2026: 01 जनवरी का दिन अंग्रेजी कैलेंडर का पहला दिन होता है और इस नए साल के तौर पर पूरी दुनिया में मनाया जाता है। लेकिन हिंदू नववर्ष की शुरुआत इस दिन से नहीं होती है। इसे लेकर धार्मिक मान्यताएं अलग हैं। आइए जानें कब से मानी जाती है हिंदू नववर्ष की शुरुआत

अपडेटेड Dec 19, 2025 पर 10:41 PM
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पंचांग के अनुसार, हिंदू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होता है।

Hindu New Year 2026: दिसंबर का महीना साल का अंतिम महीना होता है। साल 2025 का दिसंबर का महीना अब अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। इसके साथ ही नए साल के स्वागत की तैयारियां तेज हो रही हैं। लेकिन ये नया साल अंग्रेजी वर्ष होता है। हिंदू नववर्ष की शुरुआत इससे नहीं मानी जाती है। हिंदू धार्मिक पर्व और त्योहारों की गणना हिंदू कैलेंडर और चंद्र मास के आधार पर की जाती है। आइए जानें हिंदू कैलेंडर कब से शुरू होता है और इससे जुड़ी क्या धार्मिक मान्यताएं हैं?

हिंदू कैलेंडर का पहला और अंतिम माह

हिंदू कैलेंडर का अंतिम महीना फाल्गुन का होता है और इसका पहला महीना चैत्र होता है। पंचांग के अनुसार, हिंदू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होता है।


इस बार हिंदू नववर्ष कब होगा शुरू ?

साल 2026 में हिंदुओं का नया साल 19 मार्च 2026, गुरुवार के दिन शुरू होगा। इसी दिन से विक्रम संवत 2083 का आरंभ माना जाएगा। महंत रामेश्वर गिरी ने न्यूज 18 के साथ बातचीत में बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नव संवत्सर की शुरुआत होती है। वर्ष 2026 में यह तिथि 19 मार्च को पड़ रही है।

धार्मिक मान्यताएं

हिंदू नववर्ष को अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है और इस दिन से नए कार्यों की शुरुआत करना लाभकारी समझा जाता है। हिंदू नववर्ष केवल कैलेंडर बदलने का दिन नहीं है। इसे सृष्टि, धर्म और प्रकृति के नए चक्र की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस विशेष अवसर से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं। एक धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी। इसलिए इस दिन को सृष्टि का प्रथम दिवस भी कहा जाता है।

वहीं, एक अन्य मान्यता भगवान श्री राम से भी इसे जोड़ती है। माना जाता है कि लंका विजय और 14 वर्षों के वनवास के बाद जब भगवान राम अयोध्या लौटे तो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही उनका राज्याभिषेक हुआ था। रामराज्य को धर्म, न्याय और आदर्श शासन का प्रतीक माना जाता है। इसी वजह से हिंदू नववर्ष को धर्म की स्थापना और आदर्श जीवन की शुरुआत से जोड़कर देखा जाता है।

शुरू होता है नया कृषि चक्र

किसान वर्ग के लिए भी नया साल नई फसल और नए कृषि चक्र की शुरुआत का संकेत देता है। इस तरह हिंदू नववर्ष प्रकृति और मानव जीवन के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है। भारत के अलग-अलग राज्यों में हिंदू नववर्ष को विभिन्न नामों से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा कहा जाता है, जहां विजय और समृद्धि के प्रतीक के रूप में गुड़ी फहराई जाती है। वहीं कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इसे उगादी के रूप में मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे नव संवत्सर कहा जाता है और इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत होती है।

मौसम में बदलाव का भी संकेत है

हिंदू नववर्ष मौसम में बदलाव का संकेत भी देता है। इस दिन के आसपास वसंत ऋतु का आगमन होता है। सर्दियों का मौसम विदा लेता है। प्रकृति में नया जीवन दिखाई देता है। पेड़ों पर नई कोपलें आती हैं, फूल खिलते हैं और मौसम में ताजगी महसूस होती है।

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