Jitiya Vrat 2025: जीतिया व्रत को हिंदू धर्म में किए जाने वाले सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। ये व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। ये व्रत बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में किया जाता है। इस व्रत में तकरीबन 36 घंटे तक बिना कुछ खाए-पिए निर्जला उपवास करती हैं। जिउतिया व्रत हर साल आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। लेकिन इस व्रत की शुरुआत एक दिन पहले यानी आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को नहाय-खाय के साथ होती है। इस साल नहाय खाय 13 सितंबर के दिन किया जाएगा, जबकि मुख्य व्रत 14 सितंबर को होगा। यह व्रत हर वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तिथि तक मनाया जाता है। आइए जानें इस व्रत के नियम और पारण की विधि
व्रत के पहले दिन यानी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को नहाय-खाय की परंपरा होती है। इसमें महिलाएं सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। जितिया व्रत को जीवितपुत्रिका के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद ओठगन की परंपरा निभाई जाती है, जिसके बाद निर्जला उपवास शुरू होता है।
उत्तरा के पुत्र के नाम पर पड़ा व्रत का नाम जीवितपुत्रिका
द्वापर युग में जब कौरव हार गए थे, तो अश्वत्थामा ने बदला लेने के लिए उत्तरा के गर्भ में पल रही संतान को नष्ट करने के लिए ब्रह्नास्त्र का इस्तेमाल किया। उत्तरा के पुत्र का जन्म लेना जरूरी था। फिर भगवान श्रीकृष्ण ने उस बच्चे को गर्भ में ही दोबारा जीवन दिया। गर्भ में मृत्यु को प्राप्त कर फिर से जीवन मिलने के कारण उसका नाम जीवित पुत्रिका रखा गया। बाद में यह राजा परीक्षित के नाम से जाना गया।
पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 14 सितंबर सुबह 8:41 बजे से प्रारंभ होकर 15 सितंबर सोमवार सुबह 6:27 बजे तक रहेगी। इसलिए 14 सितंबर को निर्जला व्रत किया जाएगा।
जीतिया व्रत का पारण अगले दिन यानी आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि का होता है। इस साल इस व्रत का पारण 15 सितंबर को सुबह 6:27 बजे के बाद किया जाएगा।