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Karwa Chauth 2025: आज चंद्रमा को सीधे नहीं देखना चाहिए, जानिए इसके पीछे क्या है मान्यता?

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ के व्रत से कई मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। माना जाता है कि आज के व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देते समय उसे सीधे नहीं देखना चाहिए। ये प्राचीन मान्यता है, जिसे जानना जरूरी है। आइए जानते हैं ऐसा क्या कहा जाता है

अपडेटेड Oct 10, 2025 पर 3:46 PM
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गणेश जी ने चंद्रदेव को श्राप दिया कि जो भी चौथ वाले दिन चंद्रमा को सीधा देखेगा उस पर कलंक लग जाएगा।

Karwa Chauth 2025: विवाहित महिलाएं आज करवा चौथ का व्रत कर रही हैं। ये व्रत पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए करती हैं। करवा चौथ का त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। ये व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। करवा चौथ की पूजा में भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय, चंद्र देव और करवा माता की पूजा की जाती है। इस व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले सरगी के साथ होती है।

शाम को चंद्रमा का दर्शन और पूजन करने के बाद उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद ही ये व्रत पूरा माना जाता है। लेकिन आज के दिन चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य देने का जितना महत्व है, उतना ही जरूरी है ये जानना कि आज पूजा करते समय चांद को सीधे नहीं देखना चाहिए। चांद को देखने के लिए थाली में पानी भरकर इसमें चांद का दीदार किया जाता है, या फिर इसे छलनी से देखते हैं, लेकिन ऐसा क्यों? चलिए जानतें हैं इस सवाल का जवाब

चांद को सीधा नहीं देखने के पीछे क्या है मान्यता?

करवा चौथ की रात को महिलाओं को सबसे ज्यादा इंतजार चांद निकलने का होता है, क्योंकि इसे देखे बिना उनका व्रत पूरा नहीं होगा। चांद की पूजा करने और अर्घ्य देने के बाद ही उनके व्रत का समापन होता है। लेकिन जब चांद निकलता है, तो इसे सीधा नहीं देखती हैं, बल्कि छलनी या थाली में पानी डालकर इसका दीदार करती हैं। दरअसल, एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार चंद्रदेव गणेश जी के रूप-रंग का उपहास कर रहे थे। इस बात से क्रोधित होकर गणेश जी ने चंद्रदेव को श्राप दिया कि जो भी चौथ वाले दिन चंद्रमा को सीधा देखेगा उस पर कलंक लग जाएगा। साथ ही वो अपमान का भागीदार कहलाएगा। तभी से करवा चौथ के चांद को सीधा नहीं देखते हैं।

इस तरह किया जाता है चांद का दीदार

चंद्रमा को मिले श्राप के कारण करवा चौथ के दिन महिलाएं चंद्रमा की पूजा करती हैं, लेकिन इसे सीधा नहीं देखती हैं। इसके लिए कहीं, थाली में पानी डालकर चंद्रमा की छाया को देखा जाता है, तो कहीं महिलाएं चांद को देखने के लिए छलनी का इस्तेमाल करती हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इसका सीधा प्रभाव उनके ऊपर न पड़े। कई जगहें ऐसी हैं, जहां पर चावल का घोल बनाकर चंद्रमा की आकृति को बनाया जाता है। जल चढ़ाकर उनकी परिक्रमा की जाती है, इसके बाद चांद को देखा जाता है।


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