Karwa Chauth 2025 Bayana: विवाहित महिलाएं आज अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए करवा चौथ का व्रत कर रही हैं। करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का समापन करती है। इस व्रत के साथ कई मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। इन्हीं में से एक है बायना की परंपरा। बायना बहू अपनी सास को उपहार के तौर पर दिया जाता है। आज के व्रत में सुबह सास अपनी बहू को व्रत शुरू होने से पहले सरगी देती है। इसमें सास की तरफ से अपनी बहू के लिए प्रेम और चिंता होती है, इस कठिन व्रत को लेकर। इसलिए सरगी में सुहाग के समान के साथ ही व्रत से पहले खाने के लिए बहुत सी चीजें भी रखी जाती हैं। इसी तरह बहू अपनी सास के प्यार और सम्मान के प्रति आभार जताने के लिए उन्हें बायना देती है। इसलिए कहा जाता है कि करवा चौथ का त्योहार आपसी रिश्तों में प्रेम घोलता है और उन्हें मजबूत बनाता है। आइए जानें बायना के महत्व और इससे जुड़ी अन्य जरूरी बातों के बारे में
सास को दिया जाता है बायना
सुहागन महिलाएं करवा चौथ के व्रत में अपनी सास को बायना देती हैं। बायना देने की परंपरा प्राचीन है। माना जाता है कि करवा चौथ के व्रत में बायना नहीं देने पर व्रत का संपूर्ण फल नहीं मिलता है।
बहू आभार प्रकट करती है बायना से
हरिद्वार के धर्माचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री ने न्यूज 18 को बताया कि विधि अनुसार व्रत करने वाली महिलाएं अपनी सास को बायना देती हैं। इसमें फल, मिठाई, वस्त्र, धन, श्रृंगार का सामान आदि होता है। सुहागन सास को बायना में श्रृंगार का सामान दिया जाता है, जबकि सास के सुहागन न होने पर बायने से श्रृंगार का सामान हटाकर बायना दिया जाता है।
बायदा करवा चौथ के व्रत का अभिन्न हिस्सा है। इसके बिना ये व्रत पूर्ण नहीं होता है। इसलिए अगर किसी महिला की सास न हो तो करवा चौथ का बायना किसे दिया जाए? इस सवाल का जवाब देते हुए पंडित श्रीधर शास्त्री ने कहा कि यदि महिला की सास नहीं है तो वह अपनी जेठानी को बायना दे सकती है। यदि जेठानी भी न हो तो वह अपने पड़ोस में किसी बुजुर्ग महिलाओं को बायना देकर अपना व्रत पूरा कर सकती है। ऐसा करने से महिलाओं को करवा चौथ के व्रत का संपूर्ण फल मिलता है और उनके संबंधों में मधुरता बनी रहती है।