Karwa Chauth 2025 Mitti Ka Karwa Importance: करवा चौथ का व्रत आज किया जा रहा है। पत्नियां ये व्रत अखंड सौभाग्य और अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। इसलिए विवाहित महिलाओं के लिए ये व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हर साल करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर किया जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान गणेश, माता पार्वती, भगवान शिव, भगवान कार्तिकेय, चंद्र देव और करवा माता व्रत करती हैं। इस व्रत में मिट्टे करवे का बहुत महत्व है, इसके बिना ये व्रत अधूरा माना जाता है। आइए जानें करवा चौथ पर मिट्टी के करवे के महत्व के बारे में
मिट्टी का करवा बनाने के लिए पहले मिट्टी को गलाते हैं। इससे इसमें भूमि और जल तत्व आ गए। जब इसे धूप और हवा में सुखाया जाता है, तो इसमें आकाश व वायु तत्व सामहित हो जाता है। अंत में करवा अग्नि में तपाकर पूरी तरह तैयार होता है, तब इसमें अग्नि तत्व भी शामिल हो जाता है। इन पांच तत्वों के समन्वय से जीवन में खुशियां आती हैं। साथ ही, मिट्टी के बर्तन में पानी पीना आयुर्वेद में भी बहुत लाभकारी बताया जाता है।
पति-पत्नी का रिश्ता भी मिट्टी के करवे की तरह नाजुक होता है। इसे संभाल कर रखना दोनों की जिम्मेदारी होती है। करवा चौथ का व्रत इस रिश्ते को मजबूत बनाए रखने का एक अवसर होता है। जिस तरह मिट्टी में लचीलापन और स्थिरता होती है, उसी तरह अपने रिश्ते में भी ये दोनों गुण शामिल करने चाहिए। प्राचीन काल से मिट्टी के बर्तन को शुद्ध माना जाता है। जो रिश्तों में भी महत्वपूर्ण है। इसी वजह से इस व्रत का नाम करवाचौथ भी इससे पड़ा है। इसलिए करवाचौथ के दिन मिट्टी का करवा जरूर प्रयोग करना चाहिए।
करवाचौथ की पूजा के बाद मिट्टी के करवे को घर में संभालकर रखना चाहिए। साल पूरा होने के बाद इसे बहते जल में प्रवाहित कर देना चाहिए। कुछ लोगों के यहां पुराना करवा ही इस्तेमाल किया जाता है तो उसे संभालकर रख सकती हैं और अगले साल दोबारा प्रयोग कर सकती हैं।