Kharmas 2025: खरमास एक महीने या 30 दिनों की अवधि होती है, जिसमें शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इसका हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। खरमास का समय साल में दो बार आता है, एक बार दिसंबर में और एक बार मार्च में। दिसंबर में शुरू होने वाला खरमास का समापन मकर संक्रांति के दिन होता है। खरमास सूर्य के गुरु की राशि में प्रवेश करने पर लगता है। दिसंबर में सूर्य भगवान गुरु की राशि धनु में प्रवेश करते, उस दिन से खरमास शुरू हो जाता है। आइए जानें इस साल खरमास कब से शुरू हो रहा है और इसमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए?
खरमास साल में दो बार लगता है एक बार जब सूर्य देव गुरु की राशि धनु में प्रवेश करते हैं, उस दिन से खरमास शुरू होता है। दूसरी बार, जब सूर्य देव गुरु की ही राशि मीन में गोचर करते हैं, तब खरमास होता है। पंचांग के अनुसार, सूर्य देव मंगलवार, 16 दिसंबर को प्रात: 04 बजकर 27 मिनट पर धनु राशि में गोचर करेंगे। इस दिन से खरमास शुरू हो जाएगा। इस आधार पर खरमास 16 दिसंबर 2025 को लगेगा। सूर्य देव जब धनु राशि से निकलकर मकर राशि में गोचर करेंगे, तो खरमास खत्म होगा। उस समय सूर्य की मकर संक्रांति होगी। सूर्य देव बुधवार, 14 जनवरी 2026, दिन को दोपहर 03:13 बजे मकर राशि में गोचर करेंगे। उस
शुभ कार्यों पर 1 माह का ब्रेक
16 दिसंबर 2025 से लेकर 13 जनवरी 2026 तक खरमास चलेगा। 14 जनवरी 2026 को खरमास खत्म होगा। इस वजह से करीब एम माह तक कोई भी शुभ काम नहीं होंगे।
शुभ कार्यों को करने के लिए सूर्य पूर्ण से रूप से गतिमान होने चाहिए और देव गुरु बृहस्पति अपनी संपूर्ण शक्तियों के साथ शुभता प्रदान करने की स्थिति में होने चाहिए। मगर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खरमास में सूर्य की गति धीमी होती है और देव गुरु बृहस्पति की शक्तियां और शुभता में कमी आ जाती है। इस वजह से खरमास में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
खरमास का आध्यात्मिक महत्व
यह समय ध्यान, व्रत, पूजा-पाठ और आत्मसयंम का होता है। लोग इस दौरान अहिंसा, धर्मपालन और दान के कार्यों को अधिक महत्व देते हैं। धार्मिक स्थलों और घरों में शांति और संयम का वातावरण बना रहता है।