Krishna Janmashtami 2025: जानें इस साल क्या है लड्डू गोपाल के जन्मदिन की तारीख, ये होगा पूजा का शुभ मुहूर्त

Krishna Janmashtami 2025: हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन लाखों-करोड़ कृष्ण भक्त लड्डू गोपाल का जन्मदिन पूरी आस्था और उत्साह के साथ मनाते हैं। यह त्योहार हर साल हिंदू वर्ष के भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

अपडेटेड Aug 01, 2025 पर 12:18 AM
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हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशी में ये त्योहार दुनिया के असंख्य कृष्ण भक्त मनाते हैं। इस दिन कार्यक्रम होते, झांकियां सजती है, उत्सव जैसा माहौल होता है। लोग व्रत, पूजा और अनुष्ठान करते हैं। यह त्योहार हर साल हिंदू वर्ष के भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। सबसे खास बात तो यह है कि यह भगवान श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव होगा।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में रोहिणी नक्षत्र में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को मध्य रात्रि में कंस के कारागृह में हुआ था। भगवान विष्णु ने माता देवकी और पिता वासुदेव के घर में लड्डू गोपाल के रूप में अवतार लिया था। इस साल इसकी तिथि को लेकर लोगों में भ्रम हो रहा है कि ये 15 अगस्त को मनाया जाएगा या 16 अगस्त को।

15 या 16 कब होगी जन्माष्टमी

इस साल भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त को लग रही है। लेकिन उदया तिथि मान्य होने की वजह से जन्माष्टमी का व्रत और पर्व 16 अगस्त को मनाया जाएगा।

अष्टमी तिथि आरंभ : 15 अगस्त 2025, रात 11.49 बजे

अष्टमी तिथि समाप्त : 16 अगस्त 2025, रात 9.34 बजे


रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत : 17 अगस्त सुबह 4.38 बजे

रोहिणी नक्षत्र की समाप्ति : 18 अगस्त 2025, तड़के 03:17 बजे

इन नियमों का पालन करें भक्त

  • इस दिन शुद्ध मन से व्रत रखें और किसी से भी बुरा व्यव्हार न करें।
  • इस दिन फल, दूध, माखन और मखाने के साथ फलाहार कर सकते हैं।
  • सच्चे मन से श्री कृष्ण की पूजा करना चाहिए।
  • इस दिन सात्विक आहार और सात्विक आचरण का पालन करें।
  • इस दिन मांसाहार, लहसुन-प्याज, तामसिक भोजन और शराब के सेवन से दूर रहना चाहिए।

इस विधि से करें पूजा

  • सुबह घर की साफ-सफाई और स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें।
  • सच्चे मन से श्रीकृष्ण की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें।
  • तुलसी की पूजा कर जल चढ़ाएं
  • रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म के समय पूजा की जाती है।
  • लड्डू गोपाल को झूला झुलाकर, उनकी आरती उतारकर और भजन-कीर्तन के साथ भगवान का स्वागत करें।
  • उपवास का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद निर्धारित समय पर करें।
  • परंपरानुसार जन्माष्टमी के व्रत का पारण अगले दिन ही करना अच्छा रहता है।

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