Margashirsha Amavasya 2025: उदयातिथि से अगहन अमावस्या कल, जानें पूजा विधि और मुहूर्त

Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष मास की अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। अमावस्या के दिन बहुत से भक्त व्रत करते हैं। मार्गशीर्ष अमावस्या को पितरों के तपर्ण और श्राद्ध के लिए अहम माना जाता है। आइए जानें इस दिन की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

अपडेटेड Nov 19, 2025 पर 5:44 PM
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मार्गशीर्ष महीने में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा फलदायी है।

Margashirsha Amavasya 2025: पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि आज से लग चुकी है और ये कल दोपर 12:16 बजे तक रहेगी। इस हिसाब से देखा जाए तो अगहन मास की अमावस्या आज और कल दोनों दिन है। आज की अमावस्या दर्श अमावस्या है, जबकि उदया तिथि के अनुसार कल व्रत और स्नान-दान की अमावस्या मानी जाएगी। मार्गशीर्ष महीने में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा फलदायी है। अमावस्या के दिन पितरों के नाम से दान-पुण्य करना और गरीबों को भोजन कराना शुभ माना जाता है। पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और पितरों की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

मार्गशीर्ष दर्श अमावस्या

मार्गशीर्ष के महीने में पड़ने वाली अमावस्या का आज 19 नवंबर की सुबह 9 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर कल 20 नवंबर की दोपहर 12 बजकर 16 मिनट तक है। उदयातिथि के हिसाब से 20 नवंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या है।

अमावस्या पर श्राद्ध कर्म

वैसे तो अमावस्या पर पितरों का तर्पण करना बहुत अच्छा माना जाता है, लेकिन मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन स्नान-दान करना, पितरों का तर्पण और श्राद्ध करना सबसे ज्यादा उत्तम माना गया है। विधिपूर्वक पूजन के बाद तर्पण के लिए सबसे पहले हाथों में कुश लेकर दोनों हाथों को जोड़कर पितरों का ध्यान करते हुए ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं गृह्णन्तु जलान्जलिम मंत्र का उच्चारण कर जलांजलि दी की जाती है।

स्नान और दान क्या करें


आज श्राद्ध की अमावस्या रहेगी और कल स्नान दान की अमावस्या रहेगी, ऐसा कहा जाता है कि इस दिन स्नान और दान का कई गुना फल मिलता है। गुरुवार की सुबह स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सुबह 05.06 बजे से सुबह 06.52 बजे तक है। इस दिन गंगा, यमुना में स्नान, गौदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र, स्वर्णआदि दान का विशेष महत्त्व माना गया है।

पितृ दोष मुक्ति के लिए 5 दान

अमावस्या के दिन पितरों के नाम से गेंहू, चावल और काले तिलों का दान करना चाहिए। माना जाता है कि इन चीजों का दान करने से पितर शांत होते हैं और परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इस दिन साबुत उड़द और कंबल का दान करना भी शुभ होता है। इससे पितर अपने स्थान पर सुखी और प्रसन्न रहते हैं। राहु और केतु का नकारात्मक प्रभाव भी कम होता है।

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