Margashirsha Amavasya 2025: 19 या 20 नवंबर किस दिन होगी अगहन अमावस्या? जानें पूजा मुहूर्त और विधि

Margashirsha Amavasya 2025 date: मार्गशीर्ष मास का हिंदू धर्म में अहम स्थान है। इस माह में आने वाली अमावस्या को बहुत पवित्र माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस साल से अमावस्या 20 नवंबर को की जाएगी। आइए जानें पूजा का मुहूर्त और विधि

अपडेटेड Nov 18, 2025 पर 3:23 PM
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मार्गशीर्ष अमावस्या को पितरों के श्राद्ध, तपर्ण और दान के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या को पितरों के श्राद्ध, तपर्ण और दान के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने और उसके तट पर पितरों का श्राद्ध करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है और जीवन में खुशहाली आती है। अगर गंगा स्नान संभव न हो तो घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगहन मास की अमावस्या पर व्रत और पूजा करने से पितृ दोष के साथ ही राहू-केतु और शनि दोष से मुक्ति मिलती है। इस अमावस्या को अगहन अमावस्या भी कहते हैं। इसमें भगवान विष्णु के साथ पितरों की भी पूजा की जाती है। इस साल ये अमावस्या तिथि को लेकर लोगों में संशय है, क्योंकि ये तिथि दो दिन पड़ रही है। आइए जानें व्रत और पूजा की सही तिथि, मुहूर्त और विधि

कब होगा मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत ?

मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि की शुरुआत 19 नवंबर को सुबह 09:43 बजे से हो रही है और इसका समापन 20 नवंबर को दोपहर 12:16 बजे होगा। उदयातिथि को देखते हुए मार्गशीर्ष अमावस्या बुधवार, 20 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं

  • अभिजीत मुहूर्त : 11:45 बजे से 12:28 बजे तक
  • अमृत काल : मध्यरात्रि 02:15 बजे, Nov 21 से प्रात: 04:03 बजे, Nov 21
  • ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 05:01 बजे से सुबह 05:54 बजे
  • विजय मुहूर्त : दोपहर 01:53 बजे से दोपहर 02:35 बजे
  • निशिता मुहूर्त : रात 11:40 बजे से मध्यरात्रि 12:34 बजे, Nov 21

पूजा विधि


  • मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन सुबह पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • स्नान के बाद बहते हुए जल में तिल जरूर प्रवाहित करें।
  • इस दिन भगवान विष्णु, श्री कृष्ण और भगवान शिव के पूजन की जाती है।
  • सत्यनारायण की कथा पढ़ें।
  • अगर आप व्रत कर रहे हैं तो स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ में दूध और जल अवश्य अर्पित करें।
  • बहुत से लोग मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत निर्जला रखते हैं।
  • पूजा-पाठ के बाद भोजन और वस्त्र आदि का यथाशक्ति दान जरूर करें।

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