Mokshda Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में पूरे साल में 24 एकादशी तिथियां आती हैं। यानी प्रत्येक हिंदू माह में दो बार, एक बार कृष्ण पक्ष में और एक बार शुक्ल पक्ष में। सभी एकादशी तिथियों का अपना महत्व है। मार्गशीर्ष माह में भी दो एकादशी आती है, एक उत्पन्ना एकादशी बीत चुकी है और अब मोक्षदा एकादशी आने वाली है। मोक्षदा एकादशी का व्रत हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद वैकुंठ में स्थान मिलता है। पंचांग के अनुसार, इस साल इस व्रत के दिन भद्रा और पंचक का दुर्लभ लेकिन खतरनाक योग बन रहा है। आइए जानें मोक्षदा एकादशी की तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, पंचक और भद्रा का समय।
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 नवंबर रविवार को रात 9:29 बजे शुरू होगी और 1 दिसंबर, सोमवार को शाम 7:01 बजे तक मान्य रहेगी। उदया तिथि को देखते हुए मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर सोमवार को रखा जाएगा।
मोक्षदा एकादशी पर पंचक और भद्रा का साया
इस बार मोक्षदा एकादशी पर भद्रा का साया है और पंचक भी लगा रहेगा। मोक्षदा एकादशी पर भद्रा सुबह 8:20 बजे से शाम 7:01 बजे तक है। इस भद्रा का वास धरती पर होगा, इसलिए भद्रा में कोई शुभ कार्य ठीक नहीं होगा। इस दिन पंचक सुबह 06:56 बजे से रात 11:18 तक है। यह भद्रा गुरुवार से शुरू हो रही है, इसका अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण 2 दिसंबर, मंगलवार को होगा। पारण का समय सुबह 6:57 बजे से सुबह 9:03 बजे तक है। पारण वाले दिन द्वादशी तिथि का समापन दोपहर 3:57 बजे होगा।
मोक्षदा एकादशी पर शुभ संयोग भी बन रहे
इस साल की मोक्षदा एकादशी के दिन व्यतीपात योग और रेवती नक्षत्र है। व्यतीपात योग प्रात:काल से लेकर देर रात 12:59 बजे तक है। उसके बाद से वरीयान योग बनेगा। मोक्षदा एकादशी पर रेवती नक्षत्र प्रात:काल से लेकर रात 11:18 बजे तक है, फिर अश्विनी नक्षत्र है।