Margashirsha Purnima 2025: साल की आखिरी पूर्णिमा होगी इस दिन, जानें मार्गशीर्ष पूर्णिमा की तारीख, पूजा विधि और मूहूर्त

Margashirsha Purnima 2025: साल 2025 अब समापन की तरफ बढ़ रहा है। साथ ही, साल की आखिरी पूर्णिमा भी आने वाली है। इस साल की आखिरी पूर्णिमा मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा होगी, जो दिसंबर में आएगी। इस दिन स्नान, दान और व्रत का बहुत महत्व है। आइए जानें इसकी तारीख और पूजा विधि

अपडेटेड Nov 25, 2025 पर 10:26 AM
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन लक्ष्मी-नारायण की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है।

Margashirsha Purnima 2025: मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा साल 2025 की आखिरी पूर्णिमा होगी। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का खास महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन लक्ष्मी-नारायण की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। मार्गशीर्ष महीने को भगवान कृष्ण का प्रिय महीना माना जाता है। इस महीने की पूर्णिमा को ‘मार्गशीर्ष पूर्णिमा’, ‘अगहन पूर्णिमा’, ‘बत्तीसी पूर्णिमा’ और ‘मोक्षदायिनी पूर्णिमा’ भी कहते हैं। साल की आखिरी पूर्णिमा होने की वजह से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और दान का पुण्य फल प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्नान-दान करने से आर्थिक लाभ के साथ सुख-समृद्धि भी प्राप्त होती है। आइए जानें मार्गशीर्ष पूर्णिमा की सही तारीख, पूजा विधि और मुहूर्त।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा तारीख

इस साल, मार्गशीर्ष पूर्णिमा 4 दिसंबर, 2025 को होगी। इस दिन पूर्णिमा तिथि सुबह 08:37 बजे शुरू होगी और इसका समापन 05 दिसंबर, 2025 को सुबह 04:43 बजे होगा। इसलिए पूर्णिमा का पूरा अनुष्ठान 4 दिसंबर को किया जाएगा। इस दिन बहुत से भक्त हरिद्वार, वाराणसी, मथुरा और प्रयागराज जैसी पवित्र जगहों पर स्नान-दान करते हैं।

स्नान-दान मुहूर्त : सुबह 5.10 - सुबह 6.04

सत्यनारायण पूजा : सुबह 10:53 - दोपहर 1.29

मार्गशीर्ष पूर्णिमा चंद्रोदय : शाम 04:35 बजे


मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि

  • इस दिन, ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • घर और मंदिर की सफाई करें।
  • एक चौका पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां रखें।
  • भगवान हरि को चंदन का लेप, फूलों की माला चढ़ाएं और देवी लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।
  • इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं और सच्चे मन से आरती करें।
  • विष्णु चालीसा का पाठ करें और मंत्रों का जाप करें।
  • फल और मिठाई अर्पित करें।
  • जीवन में सुख और शांति के लिए भगवान से प्रार्थना करें।

पूर्णिमा का उपाय

धार्मिक मान्यता के अनुसार, पूर्णिमा के दिन एक आटे का दीपक बनाकर उसमें तिल का तेल भरकर उस दीपक को प्रात: पीपल के वृक्ष के नीचे जलाकर अपनी मनोकामना कहनी चाहिए। मान्यता है कि इस उपाय को करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और सभी कार्यों में सफलता मिलती है।

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