अगहन मास की शुक्ल पंचमी को हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पावन तिथि माना गया है। इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के दिव्य विवाह का पर्व ‘विवाह पंचमी’ पूरे देश में बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस तिथि पर किए गए पूजा-पाठ, व्रत और साधना से जीवन में शुभता, सौभाग्य और शांति प्राप्त होती है। कई स्थानों पर राम–जानकी विवाह की झांकियां निकाली जाती हैं और मंदिरों में विशेष आयोजन होते हैं। भक्त इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के पवित्र दांपत्य का स्मरण करते हुए अपने जीवन में प्रेम, समर्पण और सदाचार का संकल्प लेते हैं।
अविवाहित युवतियों के लिए ये दिन विशेष रूप से शुभ माना गया है, वहीं विवाहित दंपति अपने दांपत्य जीवन में सुख और सौहार्द की कामना करते हैं। कुल मिलाकर, विवाह पंचमी आस्था, भक्ति और पवित्र वैवाहिक आदर्शों का एक महत्वपूर्ण पर्व है।
विवाह पंचमी की पंचमी तिथि 25 नवंबर रात 9:22 बजे से शुरू होकर 25 नवंबर रात 10:56 बजे तक रहेगी। इसी अवधि में पूजा करना फलदायी माना गया है।
राम–सीता विवाह अनुष्ठान का शुभ मुहूर्त: शाम 04:49 बजे से 06:33 बजे तक।
भोग: पंजीरी, पंचामृत, खीर, पीली मिठाई और पीले फल।
विवाह पंचमी पर कैसे करें शुभ पूजन?
विवाह पंचमी पर केले के पेड़ की पूजा का महत्व
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि इस दिन केले के पेड़ की पूजा अत्यंत शुभ फल देती है। इससे बृहस्पति दोष का प्रभाव कम होता है। जिन लोगों की शादी में देरी हो या संतान प्राप्ति में बाधा आ रही हो, उनके लिए ये उपाय विशेष रूप से लाभकारी है।
केले के पेड़ की पूजा विधि