Onam 2025: भारत विविधताओं का देश है, तभी तो जिस समय महाराष्ट्र से लेकर कई राज्यों में बप्पा के आगमन की तैयारियां की जाती हैं, उसी समय देश के दक्षिणी छोर पर ओणम के त्योहार की धूम रहती है। यह त्योहार सिर्फ केरल में ही नहीं मनाया जाता है, बल्कि इसे दुनियाभर में मलयाली समुदाय के लोग मनाते हैं। इस 10-11 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में बहुत सी गतिविधियां होती हैं, जिसमें पारंपरिक भोज सध्या का विशेष महत्व है। यह त्योहार देश की कृषि परंपरा का उत्सव मनाने के साथ ही सांस्कृतिक एकता का पर्व है। यह महा प्रतापी और दानवीर राजा बली की याद में मनाया जाता है, इसलिए यह भारत की पौराणिक धरोहर का भी प्रतीक है।
ओणम का त्योहार हर साल अगस्त-सितंबर के महीने में मलयाली समुदाय द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार ये पर्व मलयाली कैलेंडर के पहले महीने यानी चिंगम मास में मनाया जाता है। इस साल ये पर्व 26 अगस्त यानी कल से शुरू हो रहा है और 5 सितंबर तक मनाया जाएगा।
10 दिनों का महापर्व है ओणम
10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व का मुख्य दिन होता है थिरुवोनम। इसकी शुरुआत अथम नक्षत्र से होती है और यह तिरुवोनम के दिन सम्पन्न होता है। बता दें, मुख्य दिन तिरुवोनम नक्षत्र 4 सितंबर रात 11:44 बजे से शुरू होकर 5 सितंबर रात 11:38 बजे तक रहेगा
माना जाता है कि ओणम में महाप्रतापी और दनवीर राजा महाबली धरती पर अपने भक्तों से मिलने के लिए आते हैं। ओणम की पौराणिक कथा न्यायप्रिय राजा महाबली से जुड़ी हुई है। राजा बली के समय को धरती का ‘स्वर्ण युग’ माना जाता था। भगवान विष्णु के वामन अवतार द्वारा महाबली को पाताल लोक भेजे जाने के बावजूद वह साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आ सकते थे। इसी दिन को लोग ओणम के रूप में मनाते हैं।
पुक्कलम, सध्या और नौका दौड़ हैं ओणम के खास आयोजन
ओणम केरल का प्रमुख पर्व है, जो मानसून के अंत और फसल कटाई की शुरुआत का प्रतीक है। यह उत्सव परंपरागत रीति-रिवाजों, नृत्यों और नौका-दौड़ के साथ मनाया जाता है। इस दौरान घरों में रंगीन पुक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाते हैं, पारंपरिक ओणम साध्या भोज आयोजित करते हैं, संगीत, नृत्य और नाव दौड़ जैसे कार्यक्रम होते हैं। पुलिक्कली नृत्य इस पर्व की खासियत है। इसमें लोग बाघ की तरह शरीर पर पेंट करके नृत्य करते हैं।