Panchak In Kharmas 2025: चंद्रमा जब धनिष्ठा के उत्तरार्ध से लेकर रेवती नक्षत्र में विचरण करता है, तो उसे पंचक कहते हैं। पंचक में पांच तत्व सक्रिय माने गए हैं अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश। पांच दिनों तक रहने वाली इस अवधि में इन तत्वों से जुड़े कुछ विशेष कार्य वर्जित होते हैं। साल 2025 का अखिरी पंचक बुधवार, 24 दिसंबर 2025 से लग रहा है। चूंकि यह पंचक बुधवार से शुरू हो रहा है, इसलिए इसे राज पंचक कहा जा रहा है। खास बात ये है कि साल का अखिरि पंचक खरमास के बीच लग रहा है। खरमास और पंचक, दोनों ही वैदिक पंचांग के महत्वपूर्ण काल हैं। दो अशुभ काल एक साथ पड़ने पर लोगों में डर के साथ-साथ भ्रम भी आ जाता है। आइए जानें कब लगता है पंचक और खरमास में पंचक का क्या अर्थ है?
पंचक पांच दिनों का अशुभ समय होता है। इसमें कुछ महत्वपूर्ण काम करने से बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे परिवार में कलह, आर्थिक नुकसान और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। हालांकि अध्यात्म की दृष्टि से ये समय नकारात्मक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि का माना गया है। इस समय पूजा, जप-तप, ध्यान का विशेष महत्व बताया गया है।
चंद्रमा जब धनिष्ठा नक्षत्र के उत्तरार्ध से लेकर रेवती नक्षत्र तक विचरण करता है, तो उसे पंचक कहते हैं। पंचक में पांच तत्व सक्रिय माने गए हैं अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश, जिनसे कुछ विशेष कार्य वर्जित होते हैं। पंचांग के अनुसार, साल 2025 का आखिरी पंचक बुधवार, 24 दिसंबर से 29 दिसंबर तक लगने वाला है। 24 दिसंबर को बुधवार पड़ने के कारण इसे राज पंचक कहा जाएगा।
जब खरमास के भीतर पंचक पड़ता है, तो इसे शास्त्रों में द्विगुण दोष काल कहा गया है। इसलिए इन पांच दिनों में सावधानी रखना बहुत जरूरी है। पंचक में सावधानी बरतकर आप अपने परिवार और घर को परेशानियों से बचा सकते हैं। इस समय भगवान विष्णु का – ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। हनुमान चालीसा या सुंदरकांड पाठ करें, अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़ आदि चीजों का दान करें। पंचक के दौरान दक्षिण की दिशा की ओर यात्रा नहीं करना चाहिए। पंचक में घास-लकड़ी आदि को इकट्ठा करके घर लाना और घर की छत डालने की भी मनाही है। मान्यता है कि ऐसा करने से कलह और तनाव बढ़ता है। पंचक में चारपाई को बुनना, खोलना और बांधना भी नहीं चाहिए।