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सूर्य सिद्धांत से दूर होगा पंचांग का भ्रम, अब पूरे देश में एक ही तिथि पर मनाए जाएंगे त्योहार

Surya Siddhanta: बीएचयू के ज्योतिषाचार्यों ने पंचांग को सूर्य सिद्धांत के आधार पर तैयार करने का फैसला किया है, जिससे होली, दीपावली जैसे त्योहारों की तिथियों में कोई भ्रम न रहे। इसके लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर बनाया जाएगा, जो पूरे देश में त्योहारों की तिथियों को एक समान निर्धारित करने में मदद करेगा

अपडेटेड Mar 25, 2025 पर 11:39 AM
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Surya Siddhanta: बीएचयू के ज्योतिषियों ने पंचांग में सुधार की पहल की

हर साल हिंदू पंचांग में तिथियों के अंतर के कारण होली, दीपावली, नवरात्रि और अन्य त्योहारों की तिथियों को लेकर भ्रम की स्थिति बनती है। कहीं होली एक दिन तो कहीं दूसरे दिन मनाई जाती है, जिससे श्रद्धालुओं के बीच असमंजस रहता है। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के ज्योतिषाचार्यों ने बड़ा कदम उठाया है। अब पंचांग को सूर्य सिद्धांत के आधार पर तैयार किया जाएगा, जिससे देशभर में त्योहारों की तिथियां एक समान होंगी। इस ऐतिहासिक फैसले पर 400 से अधिक ज्योतिषी और पंचांग बनाने वाले लोग एक राय पर पहुंचे हैं।

BHU के विद्वान इस दिशा में एक विशेष सॉफ्टवेयर विकसित कर रहे हैं, जो सटीक तिथियों की गणना करेगा। ये पहल धार्मिक आयोजनों को सुव्यवस्थित बनाने के साथ-साथ पंचांग से जुड़ी तमाम उलझनों को खत्म कर देगी।

देशभर के ज्योतिषाचार्यों की बड़ी पहल


इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए देशभर के 400 ज्योतिषाचार्यों और पंचांग निर्माताओं ने मिलकर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि अब से पंचांग सूर्य सिद्धांत के आधार पर तैयार किया जाएगा, जिससे व्रत, पर्व और त्योहारों की तिथियां पूरे देश में एक समान होंगी। इससे न सिर्फ आम लोगों को लाभ होगा, बल्कि धार्मिक आयोजनों में भी एकरूपता बनी रहेगी।

तकनीक का सहारा लेगा ज्योतिष विज्ञान

बीएचयू के विद्वान एक विशेष सॉफ्टवेयर विकसित करने जा रहे हैं, जो सूर्य सिद्धांत के नियमों का पालन करते हुए पंचांग तैयार करेगा। इस सॉफ्टवेयर की मदद से हिंदू नववर्ष के समय सभी प्रमुख त्योहारों की तिथियां निर्धारित की जाएंगी। तय की गई तिथियों को केंद्र और राज्य सरकारों को भेजा जाएगा, ताकि सरकारी छुट्टियों और त्योहारों को लेकर कोई भ्रम न रहे।

त्योहारों की तिथियों पर क्यों होता है मतभेद?

बीते वर्षों में होली, दीपावली, नवरात्रि, विजयादशमी और अन्य व्रतों की तिथियों को लेकर हमेशा असमंजस की स्थिति बनी रही। अलग-अलग पंचांगों के आधार पर त्योहार कभी एक दिन तो कभी दो दिन मनाए जाते हैं, जिससे लोग दुविधा में पड़ जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए BHU के ज्योतिष विभाग ने इस सुधार की योजना बनाई है।

1965 में भी हुआ था तिथियों पर विवाद

बीएचयू के प्रोफेसर शत्रुघ्न त्रिपाठी ने बताया कि ये समस्या कोई नई नहीं है। 1965 में महाकुंभ की तिथि को लेकर भी बड़ा विवाद हुआ था। उस समय कालपात्री महाराज ने ज्योतिषाचार्यों के साथ बैठक कर सर्वसम्मति से निर्णय लिया था। इस बार भी उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए 400 से ज्यादा विद्वानों की सहमति से ये फैसला लिया गया है कि अब पंचांग सूर्य सिद्धांत के आधार पर तैयार किया जाएगा।

पंचांग निर्माण की शास्त्रीय व्यवस्था

संगोष्ठी के दौरान पंचांग निर्माण के लिए सबीज और निर्बीज विधियों पर चर्चा हुई। कुल 63 विद्वानों ने अपने मत दिए, जिनमें से 55 ने निर्बीज सूर्य सिद्धांत को अपनाने की बात कही। केवल 7 विद्वानों ने सबीज सूर्य और चंद्रमा की गणना पर जोर दिया, जबकि एक व्यक्ति ने अपने मत को स्पष्ट नहीं किया। यानी 87% विद्वानों ने सूर्य सिद्धांत को मान्यता दी है।

विवाह में गुण मिलान को लेकर बड़ा फैसला

संगोष्ठी में कुंडली मिलान से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा हुई। लखनऊ के डॉ. अनिरुद्ध शुक्ल ने बताया कि कुंडली मिलाते समय नाड़ी कूट को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यदि नाड़ी कूट प्रतिकूल है, तो 28 गुणों का मिलान भी अशुभ हो सकता है।

गुण मिलान का महत्व:

31 से 36 गुण: सर्वश्रेष्ठ

21 से 30 गुण: बहुत अच्छे

17 से 20 गुण: मध्यम

0 से 16 गुण: अशुभ

तिरुपति के डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव ने बताया कि दक्षिण भारत में कुंडली मिलान की 10 अलग-अलग विधियां प्रचलित हैं, जिनमें हर पहलू का अलग-अलग अध्ययन किया जाता है।

ग्रहों की स्थिति से विवाह की सफलता का निर्धारण

जम्मू-कश्मीर के डॉ. विक्की शर्मा ने कहा कि कुंडली मिलान के जरिए ये जाना जा सकता है कि ग्रह वर-वधु को कितना आशीर्वाद दे रहे हैं। यदि कोई दोष हो, तो उसे ज्योतिषीय उपायों से दूर किया जा सकता है।

विवाह में ग्रहों की भूमिका

सही ग्रह स्थिति: सुखी दांपत्य जीवन

दोषयुक्त ग्रह: समस्याओं की संभावना

उपाय: ग्रहों के उपाय और यज्ञ

उत्तराखंड के डॉ. नंदन तिवारी ने कहा कि एक सफल विवाह के लिए पति-पत्नी के गुणों का मेल आवश्यक है। यदि गुण मिलान सही नहीं है, तो भविष्य में वैवाहिक जीवन में परेशानियां आ सकती हैं।

सम्मेलन में कई प्रतिष्ठित विद्वानों की उपस्थिति

इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में कई नामी ज्योतिषाचार्य शामिल हुए, जिनमें केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय लखनऊ के प्रो. मदनमोहन पाठक, श्रीकाशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय, ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रो. चंद्रमौली उपाध्याय और प्रो. सुभाष पांडेय जैसे विद्वान मौजूद रहे।

इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य हिंदू पंचांग को अधिक सटीक और वैज्ञानिक बनाना था, जिससे भविष्य में किसी भी त्योहार या पर्व की तिथियों को लेकर कोई विवाद या भ्रम न हो।

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