Sharad Purnima 2025 bhadra time: शरद पूर्णिमा को हिंदू धर्म में सभी पूर्णिमा तिथियों श्रेष्ठ माना जाता है। इसके कई नाम हैं, जैसे कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और अश्विन पूर्णिमा। इस दिन चंद्रमा धरती के सबसे निकट होता है, इसलिए इसकी रोशनी भी अन्य पूर्णिमा के मुकाबले अधिक होती है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपने 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और इसकी चांदनी से अमृत वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा को खीर का भोग लगाते हैं और अर्घ्य देकर पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात में चांदनी में खीर रखने पर वो अमृत के समान हो जाती है। सूर्योदय से पहले इस खीर का सेवन करना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। ऐसा करने पर चंद्र देव निरोगी रहने का आशीर्वाद देते हैं।
लेकिन, पंचांग के अनुसार इस साल शरद पूर्णिमा पर भद्रा लग रही है। भद्र समय होता है, जिसे अशुभ मना जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने की रोक होती है। ऐसे में शरद पूर्णिमा पर चांदनी में खीर कैसे रखी जाएगी। इसके बारे में उज्जैन स्थिति महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने खीर रखने के उपाय बताए।
पंचांग के अनुसार, इस बार आश्विन शुक्ल पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर को दोपहर 12:23 बजे से लेकर 7 अक्टूबर मंगलवार को सुबह 9:16 बजे तक है। आश्विन पूर्णिमा की रात 6 अक्टूबर को है, इसलिए उस दिन ही शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी।
शरद पूर्णिमा पर भद्रा का साया
इस समय रखें चंदनी में खीर
ज्योतिषाचार्य डॉ. तिवारी का कहना है कि शरद पूर्णिमा की रात भद्रा के समय में खीर न रखें। भद्रा का समापन रात में 10:53 बजे हो रहा है। इसके बाद शरद पूर्णिमा की खीर को बाहर रख दें। आप चाहें तो खीर को पूरी रात अच्छे ढक कर बाहर छोड़ सकते हैं और सुबह उसका सेवन कर सकते हैं। इस खीर को ऐसे रखें कि उसमें चंद्रमा की किरणें पड़ती रहें।