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Sharad Purnima 2025: 6 अक्टूबर की रात को चांदनी में रखेंगे खीर, शरद पूर्णिमा की डेट को लेकर न हों भ्रमित

Sharad Purnima 2025: इस साल शरद पूर्णिमा की तिथि दो दिन होने की वजह से इसकी तारीख पर भ्रम बना हुआ है। 6 अक्टूबर को रात में चांदनी में खीर रखने का अनुष्ठान किया जाएगा। जबकि पूर्णिमा पर उदया तिथि 7 अक्टूबर को मिलने की वजह से कुछ लोग इस दिन भी ये पर्व मनाएंगे

अपडेटेड Oct 03, 2025 पर 10:28 AM
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पूर्णिमा तिथि दो दिन होने की वजह से इसकी सटीक तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

Sharad Purnima 2025 Date: अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहते हैं। हिंदू कैलेंडर में पड़ने वाली सभी पूर्णिमाओं में इसका विशेष स्थान माना जाता है। इसे कई नामों से जाना जाता है, जिनमें कोजागिरी पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा, आश्विन पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और शरद पूर्णिमा शामिल हैं। इस दिन, भक्त देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा करते हैं।

मान्यता है कि यह पूर्णिमा समृद्धि और खुशियां लाती है। इस दिन खीर बनाकर रात में चांदनी में रखी जाता है। माना जाता है कि इस रात को निकलने वाले चांद से अमृत वर्षा होती है। चांदनी में खीर रखने से वो भी अमृत के समान हो जाती है। सूर्योदय से पहले इसका सेवन करने से व्यक्ति निरोग होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

कब है शरद पूर्णिमा?

इस साल शरद पूर्णिमा सोमवार, 6 अक्टूबर, 2025 को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि दो दिन होने की वजह से इसकी सटीक तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग इसे 6 अक्टूबर मान रहे हैं, तो कुछ इसे 7 अक्टूबर मान रहे हैं।

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 अक्टूबर दोपहर 12:23 बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 अक्टूबर सुबह 9:16 बजे


परंपरा के अनुसार, अधिकांश हिंदू त्योहार उदया तिथि के अनुसार मनाए जाते हैं। लेकिन शरद पूर्णिमा में पूर्णिमा से जुड़े रात्रि अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण हैं, इसलिए यह पर्व 6 अक्टूबर को मनाया जाएगा। निशिता काल पूजा का शुभ समय रात 11:45 बजे से रात 12:24 बजे तक है। 6 अक्टूबर को चंद्रोदय शाम 5:27 बजे होगा।

शरद पूर्णिमा का महत्व

  • भागवत पुराण (दशम स्कंध) के अनुसार इस रात भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ दिव्य महा रास रचाया था, इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
  • स्कंद पुराण के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा से अमृत वर्षा होती है। इसकी किरणों में अगर रात के समय भोजन रखा जाए तो ये उसमें औषधीय गुण भर देती है।
  • पद्म पुराण में कहा गया है कि इस रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। इस रात को भक्ति भाव से मां लक्ष्मी का आह्वान करने से उनकी कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है।

सेहत और आयुर्वेद से संबंध

आयुर्वेद में शरद पूर्णिमा की परंपरा को स्वास्थ्य से जोड़ा गया है। चांदनी को शीतलता प्रदान करने वाला और औषधीय गुणों से परिपूर्ण माना जाता है, जबकि दूध, केसर और इलायची जैसी चीजें उमस भरे मानसून के बाद शरीर को संतुलित रखने में मदद करती हैं। उपवास पाचन तंत्र को आराम देता है और शरीर को डीटॉक्स करने में मदद करता है। यह सब मिलकर शरीर को सर्दियों के मौसम के लिए तैयार करते हैं और मौसमी बीमारियों से बचाव में मदद करते हैं।

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