November Pradosh Vrat: दुर्लभ योग में इस दिन होगा नवंबर का पहला प्रदोष व्रत, जानिए पूजा विधि और मुहूर्त

November Pradosh Vrat: प्रदाष का व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और ये हिंदू कैलेंडर के प्रत्येक माह में दो बार किया जाता है। नवंबर माह के पहले प्रदोष व्रत में दुर्लभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है। जानिए नवंबर के प्रदोष व्रत की पूजा मुहूर्त और विधि

अपडेटेड Oct 29, 2025 पर 7:17 PM
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इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।

November Pradosh Vrat: हिंदू वर्ष के हर माह में दो बार प्रदोष व्रत किया जाता है। एक बार कृष्ण पक्ष में और एक बार शुक्ल पक्ष में। दो व्रतों का बहुत महत्व है। प्रदोष व्रत कृष्ण या शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से शिव-पार्वती की पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उनकी कृपा से सुख-समृद्धि प्राप्ति होती है। उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज ने लोकल 18 को बताया कि प्रदोष व्रत के दिन पूजा प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त के बाद की जाती है। प्रदोष व्रत का महत्व उस दिन से और बढ़ जाता है, जिस दिन यह किया जाता है। जैसे सोमवार के दिन किया जाने वाले व्रत सोम प्रदोष और शनिवार के दिन पड़ने वाला व्रत शनि प्रदोष होता है। आइए जानें नवंबर माह काम पहला प्रदोष व्रत किस दिया किया जाएगा और इसकी विधि व शुभ मुहूर्त क्या होंगे?

इस दिन रखा जाएगा व्रत

पंचांग के अनसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 3 नवंबर 2025 को सुबह 5:07 बजे प्रारंभ होगी और 4 नवंबर 2025 की मध्‍यरात्रि 02:5 बजे समाप्‍त होगी। उदया तिथि को देखते हुए प्रदोष व्रत 3 नवंबर को रखा जाएगा। यह व्रत सोमवार के दिन होने की वजह से सोम प्रदोष व्रत होगा।

सोम प्रदोष का क्या अर्थ?

सोम प्रदोष व्रत रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा अशुभ फल दे रहा हो, उसे सोम प्रदोष जरूर नियम पूर्वक रखना चाहिए। अक्सर लोग संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत रखते हैं।

दुर्लभ संयोग में प्रदोष


नवंबर का पहला प्रदोष व्रत 3 नवंबर 2025, सोमवार को पड़ने के विशेष हो गया है। चूंकि सोमवार का दिन और प्रदोष व्रत दोनों ही भगवान शिव को समर्पित हैं, ऐसे में 3 नवंबर को प्रदोष व्रत करने से दोगुना फल मिलेगा। इस दिन रवि योग भी है, जिसे पूजा-पाठ, व्रत आदि के लिए बहुत शुभ माना गया है।

पूजा विधि

  • प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद पूजा स्थल को साफ करके भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें।
  • शिव परिवार का पूजन करें और भगवान शिव पर बेल पत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें। फिर प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें।
  • शिव चालीसा का पाठ जरूर करें और पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें। इसके बाद ही अपना उपवास खोलें।

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