Paush Amavasya 2025: पितरों के तर्पण के लिए अच्छी मानी जाती है पौष अमावस्या, जानें तिथि, पूजा विधि और महत्व

Paush Amavasya 2025: हिंदू धर्म में पौष अमावस्या का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर पितरों का तर्पण करना अच्छा होता है। आइए जानें इस साल पौष अमावस्या किस दिन मनाई जाएगी और इस दिन की पूजा विधि और पौष अमावस्या का महत्व क्या है?

अपडेटेड Dec 07, 2025 पर 7:00 AM
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पौष अमावस्या अमावस्या को मोक्षदायिनी अमावस्या भी कहा जाता है।

Paush Amavasya 2025: पौष अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। साल की आखिरी अमावस्या होने के साथ ही ये अमावस्या तिथि पितरों के तर्पण के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर पितरों की पूजा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष दूर होता है। इस दिन गंगा स्नान और दान, पूजा और श्राद्ध का विशेष महत्व है। इस तिथि पर सच्चे मन से पूजा करने वालों पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है और जीवन से कष्ट दूर होते हैं। आइए जानें इस साल किस दिन होगी पौष अमावस्या

पौष अमावस्या की तारीख गंगा स्नान का मुहूर्त

पंचांग के अनुसार इस साल पौष मास की अमावस्या 19 दिसंबर 2025 को सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर शुरुआत होगी और इसका समापन 20 दिसंबर सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार पौष अमावस्या का अनुष्ठान 19 दिसंबर को किया जाएगा। इस दिन सुबह 04:00 से 05:30 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त रहने वाला है। इस मुहूर्त में गंगा स्नान और दान करना शुभ होगा।

पौष अमावस्या महत्व

धार्मिक परंपराओं के अनुसार पौष अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत ही खास महत्व है। इस अमावस्या को मोक्षदायिनी अमावस्या भी कहा जाता है। इस तिथि पर पितरों का तर्पण करना शुभ होता है। ऐसी मान्यता है कि पौष अमावस्या की तिथि पर पितरों का तर्पण करने पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान के बाद पितरों का तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में संतान योग नहीं होता उनके लिए भी इस अमावस्या का व्रत रखना शुभफलदायी होता है। इस व्रत को रखने से संतान सुख की प्राप्ति भी होती है।

पौष अमावस्या पर श्राद्ध-पिंडदान करने का समय


माना जाता है कि अमावस्या के दिन पितृ धरती पर आते हैं। उस दिन उनके लिए तर्पण, दान, श्राद्ध, भोज, पंचबलि कर्म आदि करना चाहिए। नाराज पितरों को खुश करने के लिए स्नान के बाद तर्पण दें। वहीं श्राद्ध, पिंडदान, पंचबलि आदि कर्म दिन में 11:30 बजे से लेकर दोपहर 02:30 बजे के बीच कर सकते हैं। पितरों को खुश करने से पितृ दोष मिटता है और जीवन में खुशहाली आती है।

शूल योग-ज्येष्ठा नक्षत्र में पौष अमावस्या

पौष अमावस्या के दिन शूल योग और ज्येष्ठा नक्षत्र है। शूल योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 03:47 बजे तक है। उसके बाद से गण्ड योग बनेगा। वहीं, ज्येष्ठा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर रात 10 बजकर 51 मिनट तक है, उसके बाद से मूल नक्षत्र है।

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