Paush Amavasya 2025: पौष अमावस्या को साल की सबसे पवित्र तिथियों में से एक माना जाता है। इस दिन पितृ के लिए स्नान और दान करने का बहुत महत्व है। यूं तो पूरे पौष माह में पितरों की पूजा करने का विधान है, क्योंकि इस माह का छोटा पितृ पक्ष भी कहते हैं। पौष अमावस्या साल की आखिरी अमावस्या है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष माह की अमावस्या जैसी विशेष तिथियों पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान करने से उनका आशीर्वाद मिलता है और पितृ प्रसन्न होते हैं। इस दिन स्नान, दान और श्राद्ध कर्म करने का शुभ फल सात जन्मों तक साथ निभाता है। पूर्वज अपने परिजनों के सत्कर्मों से प्रसन्न होकर उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 19 दिसंबर, शुक्रवार को सुबह 4 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 20 दिसंबर, शनिवार की सुबह 6 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, दान और पितृ तर्पण जैसे सभी शुभ कार्य 19 दिसंबर को ही किया जाएगा।
पितरों का तर्पण कैसे करें?
पौष अमावस्या पर करें इन चीजों का दान
पौष अमावस्या के दिन अन्न, वस्त्र, कंबल, तिल, गुड़ और घी का दान बहुत शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार पौष मास की अमावस्या पर किए गए दान का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान सीधे पितरों तक पहुंचता है। अमावस्या के दिन मंदिर में दीपदान और गौ सेवा भी अत्यंत पुण्यदायी बताया गया है।
पौष अमावस्या का धार्मिक महत्व
पौष अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित माना जाता है। इस दिन विधि विधान से पितरों श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-शांति व समृद्धि आती है। जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके लिए यह तिथि विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है।