Paush Amavasya 2026: पौष अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। ये दिन साल के सबसे पवित्र दिनों में गिना जाता है। इस दिन पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। यूं तो पूरे पौष महीने को ही दूसरे पितृ पक्ष के तौर पर जाना जाता है। इस माह की कुछ विशेष तिथियों पर पितरों के लिए स्नान, दान और अनुष्ठान करना अत्यंत शुभ होता है। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-शांति आती है। पौष माह की अमावस्या तिथि भी इन तिथियों में से एक है। यह तिथि पितरों को समर्पित मानी जाती है और इस दिन स्नान, दान, तर्पण और जप का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन पितृ धरती पर आते हैं और अपने वंशजों के किए गए कर्मों से प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। आइए जानें पौष अमावस्या पर बनने वाले शुभ योग और मुहूर्त के बारे में।
पंचांग के अनुसार, पौष अमावस्या वर्ष 2025 में शुक्रवार, 19 दिसंबर को होगी। अमावस्या तिथि की शुरुआत 19 दिसंबर सुबह 4 बजकर 59 मिनट पर होगी और इसका समापन 20 दिसंबर सुबह 7 बजकर 12 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, अमावस्या से जुड़े सभी धार्मिक, पितृ तर्पण, स्नान और दान जैसे कार्य 19 दिसंबर को ही किए जाएंगे।
पौष अमावस्या के दिन बन रहे शुभ संयोग
अमावस्या तिथि पितृ कार्यों के लिए विशेष रूप से श्रेष्ठ मानी गई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सूर्य और चंद्रमा का एक ही राशि में होना अमावस्या का मुख्य ज्योतिषीय आधार होता है। यह संयोग पितरों के तर्पण, श्राद्ध और आत्मशुद्धि के लिए अनुकूल माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए पितृ कर्मों से पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 5 बजकर 19 मिनट से 6 बजकर 14 मिनट तक। इस समय स्नान, ध्यान, जप और तर्पण करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
अमृत काल : सुबह 9 बजकर 43 से 11 बजकर 01 मिनट तक। इस समय किए गए शुभ कार्यों को विशेष सिद्धि प्राप्त होती है।
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक। यह समय सार्वभौमिक रूप से शुभ माना जाता है।
राहुकाल : 11 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 18 मिनट तक रहेग।