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Radha Ashtami 2025: 31 अगस्त को मनाई जाएगी राधा अष्टमी, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व

Radha Ashtami 2025: ये पर्व इस साल 31 अगस्त को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रीकृष्ण की शक्तिस्वरूपा का जन्म कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिनों के बाद भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। इस दिन बहुत से भक्त व्रत और अनुष्ठान करते हैं।

अपडेटेड Aug 28, 2025 पर 9:27 PM
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31 अगस्त को धूमधाम से मनाई जाएगी राधा अष्टमी

Radha Ashtami 2025: श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व के ठीक 15 दिन बाद यानी भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन श्री कृष्ण की चिरकालिक साथी राधा रानी का जन्म बरसाना में हुआ था। इस दिन को राधा जयंति या राधा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को ब्रज प्रदेश, खासतौर से बरसाना और वृंदावन में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। राधा अष्टमी का पर्व इस साल 31 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन भक्त व्रत करते हैं, राधा रानी का कीर्तन और अभिषेक करते हैं। राधा अष्टमी की पूजा मध्याह्न काल में की जाती है। आइए जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व

राधा अष्टमी मुहूर्त

उदया तिथि 31 अगस्त को मिलने की वजह से राधा अष्टमी का पर्व रविवार के दिन मनाया जाएगा। इस्कॉन पंचांग के अनुसार, भक्तों को राधा अष्टमी की पूजा मध्याह्न काल में करनी चाहिए। यह पूजा के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है।

अष्टमी तिथि आरंभ : 30 अगस्त 2025 को रात 10:46 बजे से

अष्टमी तिथि समाप्त : 1 सितंबर, 2025 को 12:57 बजे

राधा अष्टमी : 31 अगस्त 2025, रविवार


मध्याह्न पूजा का समय : सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:38 बजे तक

राधा अष्टमी व्रत विधि

  • सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • घर के मंदिर या पूजा करने वाली जगह का साफ करें और वहां चौकी लगाएं।
  • इस पर कपड़ा बिछा कर एक मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें और उसे तांबे की थाली से ढक दें।
  • कलश पर देवी राधा रानी की स्वर्ण प्रतिमा स्थापित करें और उसे नए वस्त्र पहनाएं।
  • दोपहर के समय षोडशोपचार पूजा (16 चरणों वाली अनुष्ठान) करें, पुष्प, धूप, मिठाई और फल अर्पित करें।
  • यदि संभव हो तो निर्जला उपवास या एक बार भोजन करने वाला व्रत रखें।
  • अगले दिन, विवाहित महिलाओं को भोजन कराएं और पूजा की मूर्ति किसी पंडित को भेंट करें।
  • परिवार के सदस्यों के साथ प्रसाद बांटकर व्रत खोलें।

क्या है महत्व

राधा अष्टमी को उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। देवी राधा भगवान कृष्ण के प्रति दिव्य प्रेम, समर्पण और भक्ति का प्रतीक हैं। भक्तों का मानना है कि इस दिन राधारानी की पूजा करने से समृद्धि, शांति और पिछले कर्मों से मुक्ति मिलती है। राधा जी का जन्म बरसाना में हुआ था, इसलिए उनके जन्म का उत्सव यहां और श्री लाडली जी महाराज मंदिर में खूब धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान अभिषेक, भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ भव्य समारोह आयोजित किए जाते हैं। हजारों भक्त देश-विदेश से श्री राधा रानी का आशीर्वाद लेने के लिए यहां एकत्रित होते हैं।

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