Rahu Kaal Baby Birth: हिंदू धर्म में कोई भी शुभ काम करने के लिए शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा है। इसके लिए सबसे ज्यादा विचार राहुकाल का किया जाता है। छाया ग्रह राहु को यूं कि ज्योतिष के नजरिये पाप ग्रहों की श्रेणी में रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राहु काल के समय राहु की दृष्टि धरती पर पड़ती है। इस समय किए गए कार्यों में बाधा आती है, उसके असफल होने की आशंका अधिक रहती है।
राहु काल का समय पूरे दिन में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच कभी भी 90 मिनट का होता है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि राहु काल में जन्म लेने वाले बच्चे कैसे होते हैं? क्या उन्हें जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है या उनका जीवन कष्टमय बीतता है? तो आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब
ज्योतिष विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे की जन्म कुंडली में राहु की स्थिति के आधार पर ही राहु के प्रभाव का विश्लेषण किया जा सकता है। शुभ या अशुभ प्रभाव राहु और अन्य ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। ऐसे में राहु काल में जन्मे किसी भी बच्चे की पूरी कुंडली को समझने के बाद ही उसके प्रभाव पर बात की जाता सकती है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, ये बच्चे विशेष प्रकार के लक्षणों वाले हो सकते हैं। इनमें मानसिक अशांति, विवाद और संघर्ष की संभावना, अनहेल्दी खानपान की आदतें और कुछ मामलों में एडिक्शन की समस्या हो सकती है।
राहु काल या राहु की महादशा का प्रभाव बच्चे के स्वभाव पर पड़ता है और उनमें कुछ नकारात्मक प्रवृत्तियां आ सकती हैं। राहु काल में जन्मे बच्चों में स्वास्थ्य समस्याएं, अवसाद, भ्रम और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार देखने के लिए मिलता है। ऐसे बच्चों को शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे पाचन तंत्र पर बुरा असर और मानसिक तनाव या अवसाद भी हो सकता है। राहु काल में जन्म लेने वाले बच्चों में जिज्ञासा और चिंता बढ़ सकती है। साथ ही, वे गलत निर्णय ले सकते हैं और भ्रमित महसूस कर सकते हैं।
राहु काल में जन्म लेने वाले बच्चों को आगे चल कर विवाद, झगड़े, और कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे बच्चों में फास्ट फूड और नॉनवेज की आदतें भी देखने को मिलती हैं। राहु काल में जन्मे बच्चों में चिड़चिड़ापन या अपनी दिनचर्या का पालन न करने जैसी समस्याएं देखी जा सकती हैं।