Raksha Bandhan 2025: 100 साल बाद बन रहे इस योग से खास हुआ राखी का त्योहार, जानिए इसके बारे में

Raksha Bandhan 2025: रक्षा बंधन का त्योहार इस बार 9 अगस्त के दिन मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार इस बार रक्षा बंधन पर ग्रहों की दशा कुछ ऐसी कि इस त्योहार का महत्व और भी बढ़ा रही है। आइए जानतें हैं 100 साल में पहली बार बनने वाले इस योग के बारे में।

अपडेटेड Aug 05, 2025 पर 7:45 AM
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रक्षा बंधन का त्योहार हर साल सावन की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें जहां अपने भाई की कलाई पर राखी बंधती हैं और उनकी लंबी उम्र के साथ समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं, भाई उन्हें आजीवन रक्षा का वचन देते हैं। इस बार ये त्योहार 9 अगस्त के दिन मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, इस बार रक्षा बंधन के मौके पर लगभग 95 साल बाद कुछ ऐसे योग बन रहे हैं, जिनसे यह त्योहार और भी खास हो जाता है।

रक्षा बंधन तिथि और शुभ मुहूर्त

रक्षा बंधन तिथि : 9 अगस्त 2025


रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त : सुबह 5.21 बजे से दोपहर 1.24 बजे तक

इस समय के भीतर अपने भाई को राखी बंधने का काम पूरा कर लेना चाहिए, क्योंकि इसके बाद से भाद्रपद मास शुरू हो जाएगा। यह रक्षा बंधन के लिए बहुत अच्छा नहीं होता है।

रक्षा बंधन पर बन रहे विशेष योग

सौभाग्य योग : यह रक्षा बंधन के दिन के साथ शुरू होगा और मध्यरात्रि  2.15 बजे (10 अगस्त) तक रहेगा।

सर्वार्थ सिद्धि योग : प्रात: 5.47 बजे से दोपहर 2.23 बजे तक

श्रावण नक्षत्र : दोपहर 2.23 मिनट तक रहेगा

साथ ही, इस त्योहार पर करण बवा और बलव बवा योग भी बन रहे हैं, जो शुभ कार्यों के लिए उत्तम माने जाते हैं।

इस साल खास क्यों?

9 अगस्त 2025 को श्रवण नक्षत्र के दौरान सौभाग्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। पंचांग के अनुसार इस तरह के योग करीब 95 साल में एक बार ही बनता है।

 

सौभाग्य योग: समृद्धि, सौभाग्य और अच्छी सेहत देने वाला योग है। यह परिवार और रिश्तों में सकारात्मकता बढ़ाता है।

सर्वार्थ सिद्धि योग: सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला योग है, यह समय कोई भी नया कार्य शुरू करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

श्रवण नक्षत्र: यह नक्षत्र रिश्तों को मजबूत और आस्था गहरी करने के साथ ही आध्यात्मिकता को भी बढ़ाता है।

रक्षा बंधन का आध्यात्मिक महत्व

रक्षा बंधन का पर्व सिर्फ राखी बांधने या तोहफा देने तक सीमित नहीं होता है। यह त्योहार हमारे अपनों के भाग्य को आकार देने में भी अहम रोल अदा करता है। इस दिन बहनें जब अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, तो उसके साथ ईश्वर का अशीर्वाद भी जुड़ जाता है। इस दिन जब ग्रह-नक्षत्रों का अनूठा योग बन जाए तो यही समझना चाहिए कि पूरी सृष्टि आपके साथ है।

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First Published: Aug 05, 2025 7:45 AM

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