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Rishi Panchami 2025 ऋषि पंचमी पर सिर्फ व्रत नहीं, ये कथा करेगी चमत्कार!

Rishi Panchami 2025 Vrat Katha: भाद्रपद शुक्ल पंचमी को मनाया जाने वाला ऋषि पंचमी व्रत केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि का प्रतीक भी है। इस वर्ष यह व्रत 28 अगस्त 2025 को पड़ेगा। मान्यता है कि इस दिन उपवास और स्नान से पापों का नाश होता है और सप्तऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में शांति और संतुलन आता है

अपडेटेड Aug 28, 2025 पर 10:13 AM
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Rishi Panchami 2025 Vrat Katha: इस वर्ष ये पवित्र दिन 28 अगस्त 2025 को है, जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:39 बजे तक रहेगा।

हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी का व्रत बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस व्रत का महत्व केवल धार्मिक परंपरा तक सीमित नहीं है। ये व्रत आध्यात्मिक और मानसिक शुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। इस वर्ष ये पवित्र दिन 28 अगस्त 2025 को है, जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:39 बजे तक रहेगा। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से न केवल पाप नष्ट होते हैं, बल्कि व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक संतुलन भी आता है।

ऋषि पंचमी की व्रत कथा हमें ये सिखाती है कि कर्तव्यपरायणता, माता-पिता और गुरुओं के प्रति सम्मान जीवन में सुख, सफलता और मुक्ति दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इस दिन उपवास, पूजा और ध्यान का संयोजन हमारे जीवन में शांति और आध्यात्मिक जागरूकता लाने का अवसर प्रदान करता है

ऋषि पंचमी की पौराणिक कथा


कथा के अनुसार, एक नगर में एक किसान और उसकी पत्नी रहते थे। एक बार किसान की पत्नी रजस्वला हो गई। इसके बावजूद वो अपने काम में व्यस्त रही, जिससे उसे दोष लगा। उसी दौरान उसके पति का भी उसके संपर्क में आना इस दोष को बढ़ा गया। इस कारण, अगले जन्म में पत्नी को कुतिया और पति को बैल के रूप में जन्म मिला।

पुत्र की सुरक्षा के लिए किया गया प्रयास

इनका पुत्र सुचित्र था। पूर्व जन्म की स्मृति के साथ दोनों पति-पत्नी अपने पुत्र के यहां रहते थे। एक दिन जब ब्राह्मण उनके घर आए, तो सुचित्र की पत्नी ने भोजन बनाया। इस दौरान एक सांप ने भोजन में विष छोड़ा। कुतिया बनी पत्नी ने अपने पुत्र और बहू को ब्रह्महत्या से बचाने के लिए अपना मुख भोजन में डाल दिया।

बहू का गुस्सा

कुतिया की इस हरकत पर बहू को गुस्सा आया और उसने उसे घर से निकाल दिया। रात के समय अपने पति (बैल) को सारी बात बताते हुए, ये घटना पुत्र सुचित्र के सामने भी आई। पुत्र ने माता-पिता को इस दोष से मुक्त करने के उपाय के लिए ऋषि से मार्गदर्शन मांगा।

ऋषि का दिया उपाय

ऋषि ने सुचित्र को बताया कि अपने माता-पिता को ऋतु-दोष से मुक्त करने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत करना चाहिए। सुचित्र ने माता-पिता के साथ व्रत किया। इसके फलस्वरूप दोनों पति-पत्नी को पशु योनि से छुटकारा मिला और वे अपने मानव स्वरूप में लौट आए।

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