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Goverdhan Puja 2025 Date: दिवाली के बाद इस दिन होगी गोवर्धन पूजा, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और कथा

Goverdhan Puja 2025 Date: दिवाली के पांच दिनों के त्योहार में एक दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस पर्व का बहुत महत्व है। इस दिन गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। इस साल ये पर्व 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं इसका शुभ मुहूर्त

अपडेटेड Oct 04, 2025 पर 4:30 PM
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गोवर्धन पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है।

Goverdhan Puja 2025 Date: गोवर्धन पूजा हिंदू त्योहारों में बहुत अहम मानी जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों में गोर्वधन बनाकर उनकी पूजा करते हैं। ये पर्व हमें प्रकृति से जोड़ता है। गोवर्धन पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है। इस साल ये पूजा 22 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गोवर्धन पूजा हमें प्रकृति का सम्मान करने की सीख देती है। इस धरती पर जो भी है वो एक दिन खत्म हो जाएगा। हम प्रकृति पर निर्भर हैं और हमें जो भी उससे मिलता है उसके लिए आभार प्रकट करना चाहिए और प्रकृति की शक्तियों का सम्मान करना चाहिए।

गोवर्धन पूजा का मुहूर्त

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - 21 अक्टूबर 2025, शाम 05:54

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि समाप्त - 22 अक्टूबर 2025, रात 08:16

गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त - सुबह 06:26 - सुबह 08:42


गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त - दोपहर 03:29 - शाम 05:44

गोवर्धन पूजा कैसे मनाते हैं ?

गोवर्धन शब्द की उत्पत्ति गोकुल स्थित गोवर्धन पर्वत से हुई है। इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और 56 प्रकार खाने-पीने की चीजें यानी छप्पन भोग बनाकर भगवान को अर्पित करते हैं।

छप्पन भोग में होती हैं ये चीजें

गोवर्धन पूजा में अन्नकूट के दौरान भगवान के नैवेद्य में दाल, भात, कढ़ी, साग, हलवा, पूरी, खीर, लड्डू, पेड़े, बर्फी, जलेबी, केले, नारंगी, अनार, सीताफल, बैगन, मूली, साग-पात, रायते, भुजिये, चटनी, मुरब्बे, अचार आदि खट्टे-मीठे-चरपरे अर्पित किए जाते हैं।

गोवर्धन पूजी की कथा

भागवत पुराण के अनुसार, बहुत समय पहले गोकुलवासी इंद्र देव की पूजा करते थे। लेकिन एक दिन भगवान कृष्ण ने उन्हें भगवान इंद्र की पूजा न करने और गोवर्धन पहाड़ी की पूजा करने के लिए कहा। सभी लोगों ने कृष्ण की बात मानकर अन्नकूट की पूजा प्रारंभ कर दी। इस बात से भगवान इंद्र बहुत नाराज हो गए और उन्होंने मूसलाधार बारिश करना शुरू कर दिया। इससे पूरा गोकुल पानी-पानी हो गया। तब भगवान कृष्ण ने गोकुलवासियों को भगवान इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए पूरे गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा कर उनकी रखा की थी। श्रीकृष्ण की शक्तियों को पहचानकर इंद्र देव शांत हो गए और उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी और बारिश बंद कर दी।

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