Sharad Purnima 2025: हिंदू धार्मिक परंपराओं में शरद पूर्णिमा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन चंद्रमा धरती के सबसे निकट होता है और इसे साल की 12 पूर्णिमा में सबसे खूबसूरत माना जाता है। अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन से जुड़ी कई मान्यताओं में से एक इस दिन लक्ष्मी जी का जन्म होना भी है। इसके अलावा, माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण हो कर अमृत की वर्षा करते हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की चांदनी में खीर बनाकर रखने की परंपरा है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने और सूरज उगने से पहले इस खीर का सेवन करने से व्यक्ति को रोगों से छुटकारा मिलता है।
शरद पूर्णिमा को आश्विन पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, साल की सभी 12 पूर्णिमा में शरद पूर्णिमा को सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली माना जाता है। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ‘ट्रस्ट’ लखनऊ के ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पाण्डेय ने न्यूज 18 को बताया कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में खीर को रखा जाता है। माना जाता है कि चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। जब खीर को खुले में रखते हैं तो चंद्रमा की किरणें उस खीर में पड़ती हैं, जिससे वह औषधि और अमृत समान हो जाती है। उस खीर को खाने से सेहत ठीक रहती है। लेकिन खीर को चांदनी में सही समय पर रखने से उसका लाभ कई गुना बढ़ जाता है।
पं. राकेश पांडेय के अनुसार आश्विन पूर्णिमा तिथि में जिस दिन चंद्रमा उदित होता है, उसी दिन शरद पूर्णिमा मनाते हैं। पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर दिन सोमवार को दोपहर 12.23 बजे शुरू होगी और अगले दिन 7 अक्टूबर मंगलवार को सुबह 9.16 बजे खत्म होगी। ऐसे में आश्विन पूर्णिमा का चंद्रोदय 6 अक्टूबर को होगा, इसलिए शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर सोमवार को है।
खीर रखने का सबसे अच्छा समय लाभ-उन्नति मुहूर्त
शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय शाम 05:27 बजे होगा। खीर रखने के लिए सबसे अच्छा समय लाभ-उन्नति मुहूर्त रहेगा, जो रात 10:37 बजे से लेकर देर रात 12:09 बजे है। इस शुभ समय में खीर चंद्रमा की किरणों में रखना स्वास्थ्य लाभ के साथ उन्नति प्रदान करने वाला होगा।
शरद पूर्णिमा पर वृद्धि योग और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र
इस साल की शरद पूर्णिमा पर वृद्धि योग बन रहा है और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र भी होगा। वृद्धि योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 01.14 बजे तक है, वहीं उत्तर भाद्रपद नक्षत्र प्रात:काल से लेकर 7 अक्टूबर को तड़के 04.01 बजे तक रहेगा।