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Sharad Purnima 2025: 6 या 7 अक्टूबर किस होगी शरद पूर्णिमा? जानें इसका महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Sharad Purnima 2025: अश्विन पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है और इस पूर्णिमा को सबसे खूबसूरत कहते हैं। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा से अमृत बरसता है और रात में खीर बनाकर रखने और सूर्योदय से पूर्व उसे खाने से वो भी अमृत समान हो जाती है।

अपडेटेड Sep 29, 2025 पर 4:25 PM
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शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों में खीर रखकर दूसरे दिन उसका सेवन करना सेहत के लिए शुभ माना जाता है।

 Sharad Purnima 2025: अश्विन पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन की पूर्णिमा को पूरे साल की सबसे खूबसूरत पूर्णिमा माना जाता है। कहते हैं इस दिन चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और धरती के सबसे निकट होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था और वो शरद पूर्णिमा की रात को धरती पर अपने भक्तों के बीच आती है। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस रात चंद्रमा से अमृत की बरसात होती है। इस दिन दूध और चावल की खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रात को रखते हैं। कहते हैं, चंद्रमा से अमृत बरसता है, तो खीर भी अमृत हो जाती है। इस खीर को सूर्योदय से पूर्व खाने से निरोगी रहने का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन चंद्र देवता की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। इस साल शरद पूर्णिमा की तिथि को लेकर कुछ कन्फ्यूजन है। तो आइए जानतें हैं चंद्रमा को अर्घ्य किस दिन दिया जाएगा और स्नान दान की पूर्णिमा किस दिन की जाएगी।

आश्विन पूर्णिमा तारीख

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस बार सोमवार, 6 अक्टूबर को दोपहर 12.23 बजे आश्विन पूर्णिमा तिथि शुरू होगी। यह तिथि मंगलवार, 7 अक्टूबर को सुबह 9.16 बजे खत्म होगी। ऐसे में शरद पूर्णिमा का त्योहार 06 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागर पूजा के नाम से भी जाना जाता है, उसके लिए शुभ मुहूर्त 06 अक्टूबर 2025 को रात्रि 11:45 बजे से लेकर 07 अक्टूबर 2025 को पूर्वाह्न 12:34 बजे तक रहेगा।

चंद्रोदय का समय

06 अक्टूबर 2025 को चंद्रोदय शाम को 05:27 बजे निकलेगा

आश्विन पूर्णिमा व्रत


हालांकि आश्विन पूर्णिमा का व्रत 6 अक्टूबर को रखा जाएगा क्योंकि इस व्रत में रात को चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं। इसके बिना यह व्रत पूरा नहीं होता है।

ब्रह्म मुहूर्त : प्रात:काल 04:39 से 05:28 बजे तक

विजय मुहूर्त : दोपहर 02:06 से 02:53 बजे तक

अमृत काल : रात्रि 11:40 बजे से लेकर अगले दिन 07 अक्टूबर 2025 को पूर्वाह्न 01:07 बजे तक

निशिता मुहूर्त : रात्रि 11:45 से लेकर अगले दिन 07 अक्टूबर 2025 को पूर्वाह्न 12:34 बजे तक

राहुकाल : प्रात:काल 07:45 से लेकर 09:13 बजे तक

शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

माना जाता है शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। इस दिन चंद्रमा की किरणों का शरीर पर पड़ना बेहद शुभ माना गया है। ये किरणें हमारे मन को शांत करती हैं और चंद्र देवता, माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की अमृत किरणों में खीर को रखकर दूसरे दिन उसका सेवन करने से सेहत और सौभाग्य के लिए शुभ माना जाता है।

पूजा विधि

सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनने। इसके बाद भगवान श्री हरि, माता लक्ष्मी और चंद्र देवता के लिए विधि-विधान से व्रत रखने का संकल्प करें। इसके बाद अपने पूजा घर में या फिर ईशान कोण में एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर इन देवताओं की तस्वीर रखें और उस पर गंगाजल छिड़कें. इसके बाद पुष्प, फल, धूप-दीप, चंदन-रोली, अक्षत, मिष्ठान, तुलसी आदि अर्पित करके पूजा एवं भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। शाम को चंद्रोदय होने के बाद चंद्र देवता को एक लोटे में अक्षत, सफेद पुष्प, दूध आदि डालकर अर्घ्य दें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा करें तथा चंद्रमा की रोशनी में पहले से बनी खीर को रखें और दूसरे दिन प्रसाद स्वरूप खुद भी खाएं।

Sharad Purnima 2025: 6 अक्टूबर की रात चंद्रमा से होगी अमृत की बरसात, इस दिन खीर बनाकर जरूर लगाएं भोग

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