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Shardiya Navratri 2025: नवरात्र की शुरुआत शुक्ल योग योग में, नोट करें घटस्थापना का समय और सामग्री

Shardiya Navratri 2025: अश्विन मास की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र शुरू होते हैं। इस साल ये पर्व सोमवार, 22 सितंबर से शुरू हो रहा है। इस बार नवरात्र की शुरुआत कई शुभ संयोगों में हो रही है। सुबह बन रहे शुक्ल योग में की जाएगी घटस्थापना। जानें कलश स्थापना का समय और सामग्री

अपडेटेड Sep 19, 2025 पर 11:20 PM
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शुक्ल योग में सभी कार्य करते हैं, वह सफल होते हैं।

Shardiya Navratri 2025: इस साल शारदीय नवरात्र का त्योहार बहुत खास होगा। इसकी शुरुआत सोमवार 22 सितंबर से हो रही है। अश्विन मास की प्रतिपदा तिथि को मां दुर्गा हर अपने भक्तों का उद्धार करने के लिए धरती पर आती हैं। वह नौ दिन तक भक्तों के साथ रहने के बाद 10वें दिन विदा हो जाती हैं। इस साल के नवरात्र की खास बात ये है तृतीय तिथि दो दिन होने की वजह से नवरात्र का पर्व नौ दिनों का न होकर 10 दिनों का होगा। 11वें दिन विजयादशमी के पर्व के साथ मां दुर्गा विदा हो जाएंगी। इस साल नवरात्र में मां दुर्गा गज वाहन पर सवार होकर आ रही हैं, जिसे बहुत शुभ माना जा रहा है।

इस साल घट स्थापना पर कई प्रमुख और दुर्लभ संयोग बनने से इसका महत्व और भी बढ़ रहा है। इस साल नवरात्र की शुरुआत शुक्ल योग में हो रही है, जो सुबह से लेकर शाम 07.59 बजे तक रहेगा। शुक्ल योग में आप जो भी कार्य करते हैं, वह सफल होते हैं। इस योग में कलश स्थापना के साथ नवरात्रि की पूजा प्रारंभ होगी। इसके अलावा इस दिन हस्त नक्षत्र के साथ ब्रह्म योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। यह दिन कलश स्थापना के लिये बेहद शुभ होगा।

प्रतिपदा का समय

दृक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि का पहला दिन यानि पहली तिथि आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर को मध्यरात्रि 01:23 बजे से शुरू हो रही है और यह 23 सितंबर को मध्यरात्रि 02:55 बजे तक रहेगी।

कलश स्थापना का मुहूर्त

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजे से लेकर 8 बजे तक होगा। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.49 बजे से दोपहर 12.38 बजे तक रहेगा।


कलश स्थापना की सामग्री

  • मिट्टी या पीतल का एक कलश, मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर
  • लकड़ी की एक चौकी, 7 तरह के अनाज, जौ
  • चौकी पर बिछाने के लिए लाल या पीले रंग के कपड़े
  • आम और अशोक के पत्ते, गुड़हल या लाल रंग के फूल, माला
  • देवी दुर्गा के श्रृंगार की वस्तुएं, लाल रंग की साड़ी, लाल चुनरी
  • सिंदूर, रोली, चंदन, गंगाजल, रक्षासूत्र, सिक्के
  • गाय का घी, शहद, पंचमेवा, रुई की बत्ती, फल, मिठाई, नैवेद्य
  • जटावाला एक नारियल, सूखा नारियल, इलायची, लौंग, सुपारी, पान का पत्ता
  • अगरबत्ती, धूप, दीप, कपूर, गुग्गल, लोबान
  • मातरानी का ध्वज, कुश या कंबल का एक आसन, माचिस
  • दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती, आरती आदि की पुस्तक
  • अखंड ज्योति के लिए एक बड़ा दीपक, तिल या सरसों का तेल
  • मां दुर्गा के पग चिह्न, मंडप बनाने केले के पौधे, रंग-बिरंगे कागज

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