Shattila Ekadashi 2026: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को विष्णु भगवान का आशीर्वाद पाने का सबसे सरल उपाय माना जाता है। इस दिन श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और उनकी कृपा पाने के लिए व्रत करते हैं। हर साल माघ के महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आने वाली एकादशी को षटतिला एकादशी का व्रत किया जाता है। यह साल 2026 का पहला एकादशी व्रत होगा, जिसका हिंदू परंपरा में गहरा आध्यात्मिक महत्व है। इस बार षटतिला एकादशी पर 23 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह मकर संक्रांति के दिन ही पड़ रही है। यह व्रत, पूजा और दान-पुण्य के लिए एक शुभ अवसर बन रहा है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भक्ति भाव से एकादशी व्रत करने को आध्यात्मिक शुद्धि और मुक्ति का एक शक्तिशाली मार्ग माना जाता है।
षटतिला एकादशी और मकर संक्रांति का दुर्लभ संयोग
षटतिला एकादशी 2026 में साल की पहली एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। इसका व्रत 14 जनवरी 2026 को माघ महीने के कृष्ण पक्ष में रखा जाएगा। इस एकादशी का मकर संक्रांति के साथ संयोग इसके धार्मिक पुण्य को कई गुना बढ़ा देता है।
मकर संक्रांति के दान का समय
मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य का समय दोपहर 03 बजकर 07 मिनट पर शुरू होगा और शाम 06 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। इस दिन बुधवार और अनुराधा नक्षत्र होने से सर्वार्थ और अमृत सिद्धि योग का भी निर्माण होगा।
माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 13 जनवरी 2026 को दोपहर 3:17 बजे शुरू होगी और 14 जनवरी 2026 को शाम 5:52 बजे समाप्त होगी।
मुहूर्त : इस दिन पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 7:15 बजे से 9:53 बजे तक है। इस समय प्रार्थना, विष्णु पूजा और सत्यनारायण पूजा करने से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
व्रत पारण तारीख : 15 जनवरी 2026
व्रत पारण का समय : सुबह 7:15 बजे से 9:21 बजे तक रहेगा।
पारण के दिन, द्वादशी तिथि रात 8:16 बजे समाप्त होगी, इसलिए व्रत समाप्त करने के लिए सुबह का समय आदर्श है।
षटतिला एकादशी में तिल का महत्व
माघ के महीने में आने वाले पर्व और उपवास में तिल का बहुत महत्व है। षटतिला एकादशी भी इससे खास तौर पर जुड़ी हुई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के शरीर से हुई है और षटतिला शब्द 'षट' जिसका मतलब छह है। इस एकादशी पर, तिल का छह पवित्र तरीकों से इस्तेमाल करने से दिव्य आशीर्वाद मिलता है। इस दिन, तिल मिले पानी से स्नान करना, हवन में तिल चढ़ाना, तिल दान करना, तिल से बना खाना खाना, तिल मिला पानी पीने और देवता का तिल से अभिषेक करने का शुभ परिणाम मिलता है।