Tulsi Vivah 2025: इस साल कब तक है तुलसी विवाह का योग, जानिए तुलसी विवाह की पूरी विधि

Tulsi Vivah 2025: तुलसी विवाह का उत्सव देवउठनी एकादशी के बाद मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन से हिंदू धर्म में शादी, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। आइए जानें इस साल कब से कब तक है इसका योग और तुलसी विवाह की पूजा विधि

अपडेटेड Oct 29, 2025 पर 7:22 PM
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इस साल तुलसी विवाह का अनुष्ठान 2 नवंबर के दिन मनाया जाएगा।

Tulsi Vivah 2025: हिंदू धर्म में तुलसी विवाह को बहुत महत्वपूर्ण और पवित्र अनुष्ठान माना जाता है। माना जाता है कि जो व्यक्ति तुलसी विवाह करता है, उसे कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है। खासकर जिनके घर बेटियां नहीं हैं, उन्हें तुलसी विवाह अवश्य करना चाहिए। तुलसी विवाह हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक किया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के चार माह की योग निद्रा से जागने के बाद होता है।

बता दें, भगवान श्री हरि विष्णु अश्विन मास में चार महीने के लिए देवशयनी एकादशी के दिन योग निद्रा में जाते हैं। इस दौरान शादी, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य बंद रहते हैं। श्री हरि चार माह के बाद देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं और इसके अगले दिन तुलसी विवाह होने के साथ हिंदू धर्म मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस साल तुलसी विवाह का अनुष्ठान 2 नवंबर के दिन मनाया जाएगा। आइए जानें

तुलसी विवाह कब है?

पंचांग के अनुसार, तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाएगा। यह रविवार, 2 नवंबर 2025 को होगी। जो लोग द्वादशी के दिन तुलसी विवाह करना चाहते हैं, वे 2 नवंबर 2025 को यह विवाह कर सकते हैं।

2 नवंबर के बाद कब कर सकता है तुलसी विवाह?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक का समय तुलसी विवाह के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस अवधि में किसी भी दिन तुलसी विवाह किया जा सकता है। हालांकि, अधिकतर लोग इसे कार्तिक शुक्ल द्वादशी के दिन ही करते हैं। इसके संभावित दिन हैं –


  • कार्तिक शुक्ल एकादशी – 1 नवंबर 2025
  • कार्तिक शुक्ल द्वादशी – 2 नवंबर 2025
  • कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी – 3 नवंबर 2025
  • कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी – 4 नवंबर 2025
  • कार्तिक पूर्णिमा – 5 नवंबर 2025

तुलसी विवाह की विधि

तुलसी विवाह के दिन तुलसी माता को दुल्हन की तरह सजाया जाता है, और श्री शालिग्राम जी को दूल्हे की तरह सजाया जाता है। मंत्रोच्चारण के साथ दोनों का विवाह कराया जाता है। माना जाता है कि तुलसी विवाह करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है।

  • सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • तुलसी के पौधे को साफ और पवित्र स्थान पर रखें। उसके पास भगवान शालिग्राम जी को स्थापित करें।
  • विवाह स्थान पर रंगोली बनाएं। फूलों, आम के पत्तों, केले के तनों से सुंदर विवाह मंडप तैयार करें।
  • एक कलश में जल भरकर रखें और उसमें पांच आम के पत्ते लगाकर पूजा स्थान पर रख लें।
  • तुलसी माता और शालिग्राम जी को फूलों की माला पहनाएं।
  • तुलसी और शालिग्राम जी को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं।
  • शालिग्राम जी को नए वस्त्र पहनाएं और तुलसी माता को लाल चुनरी या साड़ी ओढ़ाएं।
  • तुलसी माता को चुनरी या साड़ी पहनाएं। साथ ही श्रृंगार सामग्री अर्पित करें।
  • अब घी का दीपक जलाएं।
  • दोनों के सात फेरे (परिक्रमा) कराएं।
  • इसके बाद आरती करें और प्रसाद बांटें।

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