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Vijaya Dashami 2025 श्राप के कारण भस्म हो गई थी रावण की सोने की लंका, क्या आप जानते हैं दशानन से जुड़ी ये कहानी

Vijaya Dashami 2025 बुराई पर अच्छा की जीत का पर्व दशहरा में रावण वध की प्रथा काफी पुरानी है। रावण की सोने की लंका के बारे में भी सभी जानते होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लंका को रावण ने धोखे से हासिल किया था और माता पार्वती ने इसे भस्म होने का श्राप दिया था।

अपडेटेड Sep 25, 2025 पर 10:45 AM
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त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने माता सीता को रावण की कैद से मुक्त करने के लिए रावण का वध कर दिया था।

Vijaya Dashmi 2025: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व विजयादशमी, हर साल शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन मनाया जाता है। इस पर्व के पीछे दुर्गा मां और महिषासुर के युद्ध की और दूसरी त्रेता युग में राम-रावण के युद्ध की दो कथाएं हैं। पौराणिक काल में मां दुर्गा ने महिषासुर के आतंक से सृष्टि का बचाने के लिए उससे 9 दिनों तक युद्ध किया था और 10वें दिन उसका संहार किया था। त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने माता सीता को रावण की कैद से मुक्त करने के लिए रावण के साथ नौ दिनों तक युद्ध के बाद 10वें दिन उसका वध कर दिया था। इसी की याद में विजयादशमी के पर्व को मनाया जाता है।

01 या 02 अक्टूबर किस दिन है दशहरा

हिंदू पंचांग के अनुसार, दशहरा का पर्व आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल दशमी तिथि 1 अक्टूबर 2025 रात 07:01 बजे से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2025 रात 07:10 बजे तक रहेगी। इसलिए विजयादशमी का पर्व 2 अक्टूबर को होगा।

दशहरा पूजा के शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त : दिन में 11:46 से दोपहर 12:34 तक

विजय मुहूर्त : अपराह्न काल 02:09 से 02:56 तक


गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:06 से 06:30 तक

रवि योग : पूरे दिन

माता पार्वती के श्राप के कारण भस्म हुई थी लंका

रावण को जिस सोने की लंका राजा कहा जाता है, दरअसल वो उसकी कभी थी नहीं। उसने लंका को छल से हासिल किया था। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती के लिए एक महल का निर्माण करवाया था। माता पार्वती ने भोलेनाथ से अपने लिए एक महल बनवाने का आग्रह किया था। इस पर महादेव ने धन के देवता कुबेर और विश्वकर्मा को एक भव्य महल बनाने का निर्देश दिया। ये महल समुद्र के बीच बनाया गया, चूंकि ये सोना का बना था इसलिए इसे सोने की लंका कहा जाने लगा।

रावण की नजर जब इस महल पर पड़ी, तो वो मुग्ध हो गया और उसने इसे हासिल करने की योजना बनाई। वह ब्रह्मण का वेश धरकर भगवान शिव के पास पहुंच गया और दान में सोने की लंका मांग ली। भगवान शिव ने उसे सोने की लंका दान में दे दी। इस छल का जब माता पार्वती को पता चला तो वह बहुत क्रोधित हुईं और उन्होंने रावण को श्राप दिया कि एक दिन सोने की लंका जलकर भस्म हो जाएगी। माना जाता है कि श्रेता युग में रावण का माता सीता का अपहरण कर लंका लेकर आ गया था। उनकी तलाश करते हुए हनुमान जी लंका पहुंचे थे और उन्होंने पूरी लंका में आग लगा दी थी। ये माता पार्वती के श्राप के कारण हुआ था।

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