विराट कोहली के जाने के बाद फिटनेस टेस्ट को सीरियस नहीं ले रहे टीम इंडिया के खिलाड़ी? सामने आई ये बड़ी रिपोर्ट

विराट कोहली और रवि शास्त्री की जोड़ी के खत्म होने के बाद भारतीय पुरुष क्रिकेट में फिटनेस टेस्ट की अहमियत कम होती दिख रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब यो-यो और ब्रोंको जैसे टेस्ट टीम में जगह बनाने के लिए जरूरी नहीं रहे

अपडेटेड Sep 03, 2025 पर 8:06 PM
Story continues below Advertisement
भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली और रोहित शर्मा मैदान में लौटने को बेताब हैं।

भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली और रोहित शर्मा मैदान में लौटने को बेताब हैं। इसके लिए वो जमकर प्रैक्टिस कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके लिए दोनों खिलाड़ियों ने फिटनेस टेस्ट भी पास कर लिया है। दोनों ही खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर नजर आ सकते हैं। वहीं इन खिलाड़ियों के फिटनेस टेस्ट के बीच एक ऐसी खबर सामने आई है, जो भारतीय क्रिकेट के लिए एक चिंता की खबर बन सकती है। बीते कुछ सालों में वर्ल्ड क्रिकेट में भारतीय टीम ने फिजनेस का एक अलग ही पैमाना तय किया है। टीम इंडिया में खेलने के लिए खिलाड़ियों को एक कठिन फिटनेस टेस्ट से गुजरना पड़ता है, लेकिन समय के साथ अब चीजें बदल रही हैं। भारतीय क्रिकेटर्स इन फिटनेस टेस्ट को अब गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और ये टेस्ट महज एक औपचारिकता सी होते जा रही है।

फिटनेस टेस्ट की कम हुई अहमियत

विराट कोहली और रवि शास्त्री की जोड़ी के खत्म होने के बाद भारतीय पुरुष क्रिकेट में फिटनेस टेस्ट की अहमियत कम होती दिख रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब यो-यो और ब्रोंको जैसे टेस्ट टीम में जगह बनाने के लिए जरूरी नहीं रहे। कुछ बड़े खिलाड़ियों का मानना है कि ऐसे टेस्ट से चोट का खतरा बढ़ सकता है और वे फिटनेस को संभालने के लिए अपनी अलग टेकनिक पर भरोसा करना पसंद करते हैं। इसी वजह से अब इन फिटनेस टेस्ट को सिर्फ औपचारिकता माना जाने लगा है।

नहीं सामने आए नतीजे 

हाल ही में रोहित शर्मा, शुभमन गिल और जसप्रीत बुमराह समेत कई भारतीय खिलाड़ी बेंगलुरु स्थित बीसीसीआई के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस पहुंचे, जहां उन्होंने फिटनेस टेस्ट दिया। विराट कोहली ने यह टेस्ट लंदन में पूरा किया। खबरों के मुताबिक सभी खिलाड़ियों ने टेस्ट पास कर लिया। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ये टेस्ट सिर्फ औपचारिकता जैसे थे। न तो इनके नतीजे ना सामने आए और न ही मीडिया को इसकी जानकारी लेने की अनुमति दी गई।


खिलाड़ी भी नहीं ले रहे हैं गंभीरता से

रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय क्रिकेट में फिटनेस टेस्ट को लेकर अब पहले जैसी गंभीरता नहीं रही। रिपोर्ट में कहा गया कि, पहले यो-यो और 2 किमी दौड़ जैसे टेस्ट खिलाड़ियों की फिटनेस का सख्त पैमाना हुआ करते थे, लेकिन अब इनका महत्व घटा दिया गया है। पहले जहां मानक लगातार ऊंचे किए जाते थे, वहीं अब ये सिर्फ दौड़ने जैसी औपचारिक कवायद बनकर रह गए हैं। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है किस जब फिटनेस टेस्ट के नतीजे सामने ही नहीं आते, तो खिलाड़ी इन्हें गंभीरता से क्यों लें। सिनियर खिलाड़ी अक्सर यह कहकर बच निकलते हैं कि वे मैच फिट हैं और अपने शरीर को अलग तरीकों से संभालते हैं।

2019 वर्ल्ड कप के बाद से आई गिरावट

रिपोर्ट के मुताबिक, जब तक विराट कोहली और रवि शास्त्री की जोड़ी भारतीय क्रिकेट में सक्रिय थी, तब तक यो-यो टेस्ट चयन का अहम हिस्सा माना जाता था। उस समय जो खिलाड़ी इस टेस्ट में पास नहीं होते, उन्हें टीम में जगह नहीं मिलती थी। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। कहा जा रहा है कि कई खिलाड़ी फिटनेस टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन न करने के बावजूद टीम में चुने जा रहे हैं। इसकी वजह वे चोट से बचाव जैसे बहाने बताकर देते हैं, जिससे टीम सलेक्शन में सख्ती कम हो गई है।

इस रिपोर्ट में टीम इंडिया के पूर्व स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच सोहम देसाई ने कहा है कि, 2019 वर्ल्ड कप के बाद से फिटनेस टेस्ट का असली महत्व खत्म हो गया है। अब ये टेस्ट सिर्फ आंकड़े इकट्ठा करने तक सीमित रह गए हैं, इन्हें खिलाड़ियों की असली फिटनेस मापने का पैमाना नहीं माना जाता।

MoneyControl News

MoneyControl News

First Published: Sep 03, 2025 8:06 PM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।