Shubman Gill: भारत के टेस्ट और वनडे टीम के कप्तान शुभमन गिल 2025 में अब तक सबसे ज्यादा मैच खेले हैं। फरवरी से लेकर अब तक गिल हर सीरीज का हिस्सा रहे हैं, फिर चाहे वो बाइलेटरल हो या फिर मल्टीनेशनल। 26 साल के गिल इस साल अब तक 31 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं और इसके अलावा आईपीएल में भी 15 टी20 मुकाबले खेले हैं। लगातार खेलते रहने के बावजूद उनके वर्कलोड को लेकर किसी तरह की चिंता देखने को नहीं मिली है। शुभमन गिल अब साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट मैच में खेलते हुए नजर आएंगे। वहीं साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच से पहले गिल ने वर्कलोड पर खुलकर बात की है।
शुभमन गिल ने कहा हर मैच और सीरीज के हिसाब से खुद को तैयार करना आसान नहीं होता, पर वे अपनी तैयारी और मानसिक मजबूती के दम पर इस बदलाव को संभालने की कोशिश करते हैं।
वर्कलोड पर गिल ने क्या कहा
कोलकाता में भारत–दक्षिण अफ्रीका पहले टेस्ट से एक दिन पहले गिल ने कहा, "मैं अभी भी समझने की कोशिश कर रहा हूं कि तीनों फॉर्मेट में खेलते हुए बैलेंस कैसे बनाए रखा जाए। एशिया कप के बाद से मेरा शेड्यूल काफी बीजी रहा है, लगातार मैच खेलना और बार-बार फॉर्मेट बदलना। मैं अभी भी यह सीख रहा हूं कि प्रदर्शन और निरंतरता के मामले में मेरे लिए क्या सबसे बेहतर तरीके से काम करता है।"
उन्होंने आगे कहा, "चुनौती फिजिकल से ज्यादा मानसिक होती है। ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद जेट लैग और यात्रा की थकान जरूर रहती है, लेकिन फिजिकल तौर पर मैं बिल्कुल ठीक हूं। सबसे जरूरी है मेंटली तौर पर फ्रेश रहना। यह मेरे लिए एक अच्छी चुनौती है और साथ ही सीखने का बेहतरीन मौका भी।"
खुद को कैसे डालते है अलग-अलग फॉर्मेट में
शुभमन गिल का मानना है कि अलग-अलग परिस्थितियों और फॉर्मेट के अनुसार खुद को ढालना एक पेशेवर क्रिकेटर के करियर का जरूरी हिस्सा है। उन्होंने कहा, “सिर्फ चार-पांच दिनों में माहौल बदलना, किसी दूसरे देश से आकर तुरंत अलग फॉर्मेट में खेलना मानसिक रूप से काफी चुनौतीपूर्ण होता है। शरीर को भी नई परिस्थितियों के अनुसार ढलना पड़ता है और भारत में टेस्ट क्रिकेट खेलने की अपनी अलग मांगें होती हैं। ये मानसिक और शारीरिक, दोनों तरह से कठिन है। लेकिन एक प्रोफेशनल क्रिकेटर होने के नाते, हम जानते हैं कि क्या जरूरी है और इन चुनौतियों का सामना कैसे करना है, यही हमें अलग पहचान देता है।”
बल्लेबाज और कप्तान के तौर पर
शुभमन गिल ने कहा कि वे बल्लेबाजी और कप्तानी को अलग रखते हैं, ताकि दोनों भूमिकाएं बैलेंस रहें और उनकी बल्लेबाजी पर कोई असर न पड़े। गिल ने कहा, “तैयारी के दौरान मैं सबसे ज्यादा अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देता हूं कि एक बल्लेबाज के रूप में मैं कैसे बेहतर प्रदर्शन कर सकता हूं। मैदान पर कप्तान के रूप में उतरते ही मैं अपनी सहज प्रवृत्ति पर भरोसा करता हूं, क्योंकि तभी मैं सबसे अच्छे रणनीतिक फैसले ले पाता हूं। जब मैं बल्लेबाजी करता हूं, तो पूरी तरह एक बल्लेबाज की तरह सोचता हूं, न कि कप्तान की तरह।”