विंटर ओलिंपिक्स की तैयारियां पूरे जोश के साथ शुरू हो चुकी हैं। ग्रीस के प्राचीन ओलंपिया में मशाल जलाने के साथ इस ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत हुई है। बता दें कि प्रत्येक चार साल में जब भी ओलंपिक खेलों का आयोजन होता है, तब उद्घाटन समारोह के समय एक मशाल के माध्यम से खेलों की शुरुआत की जाती है। इस टॉर्च के जरिए एक आग की लौह जलाई जाती है, जो तब तक जलती रहती है जब तक ओलंपिक्स खत्म नहीं हो जाता है। वहीं 2026 के विंटर ओलिंपिक्स में ग्रीक एक्ट्रेस मैरी मीना ने हाई प्रीस्टेस की भूमिका निभाते हुए ओलंपिक फ्लेम को परंपरागत तरीके से प्रज्वलित किया। आइए जानते हैं ओलंपिक फ्लेम-लाइटिंग सेरेमनी और उसके इतिहास के बारे में
बता दें कि, पहले मॉडर्न ओलंपिक गेम्स 1896 में एथेंस में हुए थे, लेकिन मशाल जलाने की परंपरा 1930 के दशक के शुरुआत में की गई और ये अबतक जारी है। इस आग को जलाने के लिए एक कॉन्केव मिरर सूरज की रोशनी को टॉर्च की नोक पर इकट्ठा करता है, जिससे एक लौ बनती है जो गेम्स की पुरानी जड़ों के साथ पवित्रता और कंटिन्यूटी को दिखाती है।
इस मशाल को जलाने में मौसम सबसे बड़ी चुनौती बनती है। अगर धूप तेज और सीधा नहीं है तो आग नहीं जल पाती है। वहीं बादल छाए रहने की वजह से पहले ऑर्गनाइज़र को एक बैकअप पर निर्भर रहना पड़ता है। लौ की कॉपी एक लालटेन में पूरी यात्रा के दौरान आसानी से रखी जाती हैं ताकि जो टॉर्च कभी-कभी रिले के बीच में बुझ जाती हैं, उन्हें सावधानी से दोबारा जलाया जा सके।
पहले कई बार एक्टिविस्ट के विरोध प्रदर्शनों के कारण मशाल रिले में बाधाएं आई थीं, खासकर बीजिंग ओलंपिक से पहले, जिसके बाद सुरक्षा और सख्त कर दी गई। 2008 के बाद से मशाल रिले को सीमित कर दिया गया और यह सिर्फ ग्रीस और मेजबान देश तक ही रहने लगी।
लाइटिंग सेरेमनी के दौरान होती है परफॉर्मेंस
लाइटिंग सेरेमनी के दौरान एक खास तरह का परफॉर्मेंस होता है, जिसमें हाई प्रीस्टेस की भूमिका निभाने वाली एक एक्टर और डांसर अपनी टीम के साथ पूरी प्रस्तुति को लीड करती हैं। उनके साथ कई महिला प्रीस्टेस और मेल कलाकार होते हैं। कलाकारों का चयन, उनके कॉस्ट्यूम और पूरी कोरियोग्राफी सभी पुराने एस्थेटिक से इंस्पायर्ड हैं। कई हफ्तों की प्रैक्टिस के बाद वे पुराने ओलंपिया की ऊबड़-खाबड़ जमीन पर बिल्कुल सटीक मूवमेंट, मूर्ति जैसे पोज़ और तालमेल में चलने की कला सीखते हैं। सेरेमनी के अंत में, मशाल जलाने से ठीक पहले मुख्य प्रीस्टेस थोड़ी देर के लिए “पवित्र मौन” रखती हैं। इसके बाद वह ग्रीक भाषा में प्राचीन देवताओं से प्रार्थना करती हैं।
10,000 टॉर्चबियरर लेंगे हिस्सा
फ्लेम-लाइटिंग सेरेमनी के बाद ओलंपिक मशाल को रिले से होस्ट शहर तक ले जाया जाता है।मशाल को कभी-कभी इसे समुद्र के नीचे ले जाया गया है, स्पेस में भेजा गया है, और माउंट एवरेस्ट की चोटी तक गाइड किया गया है। इस बार, ये मशाल एक हफ्ते के लिए ग्रीस का टूर करेगा और 4 दिसंबर को विंटर गेम्स ऑर्गनाइजर को हैंडओवर सेरेमनी से पहले एथेंस के एक्रोपोलिस में रात बिताएगा और फिर एक इटैलियन एडवेंचर पर निकलेगा। रोम से शुरू होकर, 63 दिन की इटैलियन रिले 12,000 किलोमीटर तक का सफर करेगी, 60 शहरों से गुज़रेगी और दर्जनों वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स पर रोशनी डालेगी।
इस पूरे सफर में मशाल के साथ लगभग 10,000 टॉर्चबियरर हिस्सा लेंगे, जो मिलान के सैन सिरो स्टेडियम में 6-22 फरवरी को होने वाले गेम्स की ओपनिंग सेरेमनी तक चलेगा। हर ओलंपिक को रिले के लिए अपनी टॉर्च मिलती है। सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए इटली में स्लीक “एसेनजियाल” बनाया गया था।
पैरालंपिक की भी होगी शुरुआत
ओलंपिक सफर के साथ-साथ, पैरालंपिक फ्लेम 24 फरवरी, 2026 को प्रज्जवलिज होगी। विंटर पैरालंपिक 6 से 15 मार्च के बीच होगा। पैरालंपिक के मशाल को इंग्लैंड के स्टोक मैंडविल हॉस्पिटल में जलाया जाएगा। यहीं पर दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहला व्हीलचेयर एथलीट कॉम्पिटिशन हुआ था, इसी इवेंट से 1960 में रोम में हुए पहले पैरालंपिक गेम्स की प्रेरणा मिली थी। 11 दिनों में, पैरालंपिक फ्लेम 2,000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और आखिर में 6 मार्च को वेरोना एरिना में ओपनिंग सेरेमनी से पहले कई इटैलियन शहरों में प्लान किए गए फ्लेम फेस्टिवल में बनाई गई आग के साथ मिल जाएगी।