Google ने लॉन्च किया Private AI Compute, अब बिना डेटा शेयर किए मिलेगा स्मार्ट AI एक्सपीरियंस

Google Private AI Compute: Google ने Private AI Compute नाम का एक नया क्लाउड प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, जिसे यूजर्स की प्राइवेसी से समझौता किए बिना अपने AI मॉडल को और भी स्मार्ट बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह टेक्नोलॉजी डिवाइस की सुरक्षा और क्लाउड की इंटेलिजेंस के बीच बैलेंस बनाती है।

अपडेटेड Nov 12, 2025 पर 1:28 PM
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Google ने लॉन्च किया Private AI Compute, अब बिना डेटा शेयर किए मिलेगा स्मार्ट AI एक्सपीरियंस

Google Private AI Compute: Google ने Private AI Compute नाम का एक नया क्लाउड प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, जिसे यूजर्स की प्राइवेसी से समझौता किए बिना अपने AI मॉडल को और भी स्मार्ट बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। कंपनी का कहना है कि यह टेक्नोलॉजी डिवाइस की सुरक्षा और क्लाउड की इंटेलिजेंस के बीच बैलेंस बनाती है। इसका मतलब है कि यूजर्स अपने डेटा पर कंट्रोल खोए बिना एडवांस AI प्रोसेसिंग तक पहुंच प्राप्त कर सकेंगे। AI को और अधिक प्राइवेट और ट्रांसपेरेंट बनाने की दिशा में गूगल का यह लॉन्च एक बड़ा कदम है, खासकर जब Apple जैसी कंपनियां अपने क्लाउड सिस्टम के साथ इसी तरह की AI टेक्नोलॉजी लाने की कोशिश कर रही हैं।

Google ने पेश किया प्राइवेट AI कंप्यूट: ये क्या है और क्या कर सकता है?

यह नया प्लेटफॉर्म डिवाइसों को Google के सबसे पावरफुल Gemini AI मॉडल्स से जोड़ने की सुविधा देता है। इसका इस्तेमाल उन कामों के लिए किया जा सकता है जिनमें ज्यादा कम्प्यूटेशन की जरूरत होती है, जैसे कि रिकॉर्डिंग को समराइज करना, कॉन्टेक्स्ट के हिसाब से सुझाव देना, या स्मार्ट फीचर्स को मैनेज करना, साथ ही यह कन्फर्म करना कि यूजर्स का प्राइवेट डेटा सेफ रहे।


Google का कहना है कि इस सिस्टम को इस तरह डिजाइन किया गया है कि कोई भी, यहां तक कि कंपनी भी, यूजर के जरिए शेयर या प्रोसेस की जाने वाली चीजों तक नहीं पहुंच सकती।

यह कैसे काम करता है?

इसके वर्किंग सिस्टम के बारे में बताते हुए, Google के AI इनोवेशन और रिसर्च के वाइस प्रेसिडेंट जय याग्निक ने कहा कि Private AI Compute, गूगल के कस्टम Tensor Processing Units (TPUs) पर बनें एक सुरक्षित क्लाउड एनवायरनमेंट में चलता है। एन्क्रिप्शन और रिमोट अटेस्टेशन का उपयोग करके, यूजर का डिवाइस इस सुरक्षित सिस्टम से जुड़कर डेटा को पूरी तरह सुरक्षित तरीके से प्रोसेस करता है। इस टेक्नोलॉजी को गूगल के Titanium Intelligence Enclaves (TIE) नाम के तकनीक से और भी सुरक्षित किया जाता है, जिससे यह क्लियर होता है कि कोई भी बाहरी संस्था, चाहे वह गूगल के अपने इंजीनियर हों या विज्ञापनदाता, यूजर्स के डेटा में सेंध न लगा सके।

वर्षों से, Google के कई AI-पावर्ड फीचर, जैसे ट्रांसलेशन, ऑडियो समरी और वॉइस असिस्टेंट, सीधे पिक्सेल फोन और क्रोमबुक जैसे डिवाइसों पर प्रोसेस किए जाते रहे हैं। इस डिवाइस ने प्राइवेसी को प्राथमिकता दी, लेकिन एक समझौता भी किया: सीमित कम्प्यूटेशनल पावर। जैसे-जैसे AI मॉडल अधिक एडवांस होते जा रहे हैं, Google का कहना है कि अब सभी कार्यों को डिवाइस पर चलाना प्रैक्टिकल नहीं रहा। प्राइवेट AI कंप्यूट भारी प्रोसेसिंग वाले टास्क्स को एक सुरक्षित क्लाउड पर ट्रांसफर करता है। इस तरह, यह ऑन-डिवाइस सुरक्षा और क्लाउड की ताकत - दोनों का बेहतरीन कॉम्बिनेशन पेश करता है।

यह कदम Google के डिवाइसों और ऐप्स के इकोसिस्टम के लिए नए रास्ते खोलता है। उदाहरण के लिए, आने वाले Pixel 10 जैसे फोन्स में Private AI Compute का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि Magic Cue फीचर को और बेहतर बनाया जा सके। यह टूल Gmail और Calendar जैसे ऐप्स से जरूरी जानकारी निकालकर कॉन्टेक्स्ट के अनुसार स्मार्ट सजेशन देता है।

रिकॉर्डर ऐप रीयल-टाइम ट्रांसक्रिप्शन और के लिए और भी भाषाओं को सपोर्ट करेगा। Google ने कहा, "यह तो बस शुरुआत है," यानी आने वाले समय में यूजर्स को और भी AI-पावर्ड एक्सपीरियंस देखने को मिलेंगे।

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