स्टार्टअप बूम ने देश में फ्री सॉफ्टवेयर और ओपन सोर्स कल्चर को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। जीरोधा के चीफ टेक्नोलॉजी अफसर (सीटीओ) कैलाश नाध ने यह बात कही है। उन्होंने कहा कि जो डेवलपर्स कम्युनिटी को ध्यान में रख प्रोजेक्ट्स पर काम करते थे, स्टार्टअप बूम की वजह से उन्होंने तेज ग्रोथ वाली कंपनियों में काम करना शुरू कर दिया। इससे फ्री सॉफ्टवेयर और ओपन सोर्स कल्चर पर फोकस खत्म हो गया।
बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों को ओपन सोर्स को बढ़ावा देना होगा
नाध ने मनीकंट्रोल को बताया, "2000 के दशक की शुरुआत में इंडिया में फ्री सॉफ्टवेयर और ओपन-सोर्स कम्युनिटी का कल्चर था। लेकिन, बड़ी संख्या में टेक्नोलॉजी स्टार्टअप के आने से इसे काफी नुकसान पहुंचा। बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां ओपन सोर्स के इस्तेमाल से अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट्स बनाती हैं, लेकिन वे इसका श्रेय ओपन सोर्स को नहीं देती। जब तक बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां ओपन-सोर्स का कल्चर नहीं बनाती तब तक ओपन सोर्स को बढ़ावा नहीं मिलेगा।"
ओपन सोर्स के बगैर टेक्नोलॉजी के मामले में कोई देश आगे नहीं निकल सकता
जीरोधा के सीटीओ ने Floss/Fund के मामले में यह बात कही। जीरोधा ने पिछले साल ओपन सोर्स के लिए 10 लाख डॉलर का फंड बनाने की पहल की थी। उन्होंने यह भी कहा कि टेक्नोलॉजी के मामले में देश को मजबूत बनाने के लिए ओपन-सोर्स क्षमता बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, "कोई देश ओपन सोर्स के बगैर टेक्नोलॉजी के मामले में अच्छी कैपेबिलिटी हासिल नहीं कर सकता। आप शुरुआत से पूरे कंप्यूटेशनल यूनिवर्स नहीं बना सकते।" उन्होंने कहा कि कुछ मुट्ठीभर SaaS और क्लाउड प्रोवाइडर्स पर निर्भरता से स्ट्रेटेजिक रिस्क पैदा होता है।
सरकार को सॉवरेन FOSS Fund के बारे में सोचना चाहिए
उन्होंने कहा, "अगर ग्लोबल SaaS प्लेटफॉर्म्स तक एक्सेस काट दिया जाए तो सिस्टमैटिक रिस्क की स्थिति बन जाती है। लोकल कपैसिटी तभी बनाई जा सकती है, जब ओपन-सोर्स का अच्छा ईकोसिस्टम हो।" उन्होंने कहा कि इंडिया को सॉवरेन FOSS Fund बनाने के बारे में सोचना चाहिए। इसमें कम्युनिटी को शामिल किया जाना चाहिए। इससे ओपन-सोर्स इंफ्रास्ट्रक्चर की बुनियाद मजबूत होगी। जीरोधा के इस फंड को शुरू हुए एक साल हो गया है।
जीरोधा के फंड ने दो किस्तों में पैसे रिलीज किए हैं
FOSS Fund ने पूरा अमाउंट दो किस्तों में ऐलोकेट किया है। इसने अक्तूबर में जिन प्रोजेक्ट्स के लिए फंड ऐलोकेट किए, उनमें Blender, FFmpeg, KDE, Matrix, OpenStreetMap, Wireshark, F-Droid, Kiwix और जिग जैसे प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। इनमें प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज, डेवलपर लायब्रेरीज, डिजिटल मैपिंग, सेक्योर कम्युनिकेशन और इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट्स हैं।