सरकार अब ईमेल सर्विस के लिए जोहो मेल का इस्तेमाल करेगी। जोहो के को-फाउंडर श्रीधर वेम्बू ने 13 अक्टूबर को इस बारे में बताया। कई स्तर की जांच के बाद जोहो को नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) के ईमेल सिस्टम के लिए चुना गया है। वेम्बू ने बताया कि इसके लिए कई बार उसके कोड्स, डेटा सेंटर्स और सिक्योरिटी प्रैक्टिसेज की जांच की गई। वेम्बू का बयान ऐसे वक्त आया है, जब सरकार के ऑफिशियल कम्युनिकेशन के लिए जोहो मेल के इस्तेमाल पर बहस जारी है।
सरकार की ईमेल सर्विस का टेंडर जोहो ने हासिल किया
मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (MeitY) ने NIC के ईमेल सॉल्यूशन से माइग्रेशन के लिए एक टेंडर इश्यू किया था। अभी NIC के ईमेल सॉल्यूशन पर करीब 33 लाख सरकारी एंप्लॉयीज रजिस्टर्ड हैं। सरकार एक सुरक्षित क्लाउड सर्विस चाहती थी। Zoho मेल ने यह टेंडर हासिल किया है। वेम्बू ने बताया कि टेंडर के नतीजों का ऐलान कुछ ही समय पहले हुआ है। उन्होंने कहा, "इस पर काम चल रहा था। सभी यूजर्स जोहो पर शिफ्ट कर रहे हैं। 15 लाख से ज्यादा यूजर्स आ चुके हैं।"
जोहो को कम से कम 20 बार ऑडिट से गुजरना पड़ा
वेम्बू ने कहा, "हमें कम से कम 15-20 बार ऑडिट से गुजरना पड़ा। इस दौरान हमारे कोड्स, डेटा सेंटर, हमारे सिक्योरिटी प्रैक्टिसेज सहित कई चीजों की जांच हुई। व्यापक ऑडिट के बाद NIC की टीम ने Zoho को सेलेक्ट किया।" उन्होंने कहा कि सेलेक्शन प्रोसेस में कड़ी प्रतियोगिता शामिल थी। उन्होंने उन चर्चाओं को खारिज किया कि जोहो का सेलेक्शन अचानक और राजनीतिक से प्रभावित फैसला है। उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई ऐसी चीज नहीं है, जो अचानक हो गई है जैसा कि कुछ लोग सोच रहे हैं।
कड़ी प्रतियोगिता के बाद हुआ जोहो का सेलेक्शन
जोहो के को-फाउंडर ने बताया, "नई चीज स्वदेशी सॉफ्टेवयर पर दिया गया जोर है। मैं दो चीजें साफ कर देना चाहता हूं। जोहो का सेलेक्शन व्यापक प्रतियोगिता के बाद हुआ। अब स्वदेशी के आंदोलन में हम यह समझ रहे हैं कि यह कंपनी मेड इन इंडिया है। हमें इसका समर्थन करना चाहिए। हमे इस नेशनल चैंपियन की जरूरत है।" इससे पहले MeitY के सेक्रेटरी एस कृषणन ने कहा था कि जोहो एनआईसी ईमेल सिस्टम को सपोर्ट कर रही है, लेकिन सरकार का फोकस किसी एक कंपनी के बजाय इंडियन प्रोडक्ट्स पर होगा।
प्राइवेट सेक्टर में भी हो रहा जोहो मेल का इस्तेमाल
कृष्णन ने मनीकंट्रोल को बताया, "किसी एक कंपनी का नाम लेकर यह कहना सही नहीं होगा कि हम उस पर जोर दे रहे हैं। हमारा जोर इंडियन प्रोडक्ट्स पर होगा। कई दूसरी कंपनियां हैं। " वेम्बू ने कहा कि जोहो का इस्तेमाल सिर्फ सरकारी ऑफिसेज के बाहर भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि मैं यह बताना चाहता हूं कि इसका इस्तेमाल सिर्फ सरकारी ऑफिसेज में नहीं हो रहा। हम प्राइवेट सेक्टर में भी इसका इस्तेमाल देख रहे हैं। इस साल जुलाई में ग्लोबल डेटा लीक का असर 16 अरब लॉग-इन रिकॉर्ड पर पड़ा था। उसके बाद सरकार ने अपने एंप्लॉयीज को नए NIC ईमेल डोमेन और प्लेटफॉर्म @mail.gov.in पर माइग्रेट करने की सलाह दी थी। इसे जोहो मैनेज करती है।