भारत में नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। भारत में दुर्गा पूजा बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। वहीं पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि भक्ति, कला, संगीत और एकता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। कोलकाता के शानदार पंडाल, शांतिनिकेतन का सांस्कृतिक माहौल या कूचबिहार की शाही परंपरा हर जगह दुर्गा पूजा का अलग ही रंग दिखाई देता है। दुर्गा पूजा के समय यहां पर घूमने का अलग ही मजा होता है। इन जगहों पर घूमकर आप बंगाल की असली त्योहारी रौनक को करीब से महसूस कर सकते हैं।
नवरात्रि के समय में कोलकाता घूमने का अलग ही मजा होता है। कोलकाता को दुर्गा पूजा की धड़कन कहा जाता है, जहां परंपरा और आधुनिकता का सुंदर मेल दिखाई देता है। यहां के मशहूर पंडाल जैसे कुमारतुली पार्क, कॉलेज स्ट्रीट और बल्लीगंज कल्चरल अपनी अनोखी थीम और बारीक मूर्तियों के लिए फेमस हैं। वहीं उत्तर कोलकाता के बोनेडी बारी की पूजा पुरानी परंपराओं की झलक दिखाती है। यहां शामों में पंडाल घूमना और काठी रोल जैसे स्वादिष्ट स्ट्रीट फूड का मजा लेना, इस त्योहार को और भी खास बना देता है।
हिमालय की तलहटी में बसा सिलीगुड़ी में दुर्गा पूजा का अलग ही अंदाज देखने को मिलता है। यहां के पंडाल पारंपरिक सजावट और आधुनिक डिजाइनों का सुंदर मेल पेश करते हैं, जो चारों ओर के पहाड़ी नजारों के बीच और भी खास लगते हैं। ठंडी हवा के साथ पंडालों में घूमना काफी अच्छा एक्सपीरिएंस होता है। यह जगह उन यात्रियों के लिए बेहतरीन है जो पूजा का आनंद लेने के साथ-साथ दार्जिलिंग या कलिम्पोंग की छोटी यात्रा भी करना चाहते हैं।
शांतिनिकेतन को रवींद्रनाथ टैगोर की धरती भी कहा जाता है। यहां पर दुर्गा पूजा के समय एक अलग ही शांत और कलात्मक रूप देखने को मिलता है। यहां के उत्सव बंगाल की साहित्य और संस्कृति से गहराई से जुड़े होते हैं। लोकगीत, बाउल गायन और स्थानीय हस्तशिल्प मिलकर एक भावपूर्ण माहौल बनाते हैं।
दुर्गापुर में दुर्गा पूजा का माहौल सामुदायिक एकता और आधुनिक थीम से भरपूर होता है। यहां के पंडालों में परंपरा और नई कलात्मकता का सुंदर मेल देखने को मिलता है। साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम, मेलों की रौनक और स्वादिष्ट खाने-पीने के स्टॉल इस उत्सव को और भी खास बना देते हैं।
कूचबिहार अपनी भव्य अंदाज में दुर्गा पूजा मनाने के लिए जानी जाती है। यहां पर ज्यादातर आयोजन ऐतिहासिक इमारतों और राजसी माहौल में होते हैं, जहां लोग बंगाल के शाही अतीत की झलक देख सकते हैं। अपनी अलग पहचान और माहौल की वजह से यह जगह उन लोगों के लिए खास है जो दुर्गा पूजा को विरासत और संस्कृति के अनोखे रंग में देखना चाहते हैं।