Ambedkar Jayanti 2025: आंबेडकर या अंबेडकर...हिंदी में सही नाम क्या है? बाबासाहेब के सिग्नेचर से दूर हुआ भ्रम

Ambedkar Jayanti 2025: बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर को अनुसूचित जातियों के सशक्तीकरण के लिए उनके आजीवन संघर्ष और संविधान का मसौदा तैयार करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है। दलित परिवार में 1891 में जन्मे आंबेडकर एक प्रतिभाशाली छात्र थे, जो विदेश में अध्ययन करने गए थे। भारतीय समाज में उनके द्वारा झेले गए भेदभाव ने उन्हें एक प्रतिबद्ध समाज सुधारक बना दिया

अपडेटेड Apr 14, 2025 पर 12:40 PM
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Ambedkar Jayanti 2025: डॉ. भीमराव आंबेडकर भारत के पहले कानून मंत्री थे। 1956 में उनका निधन हो गया था

Ambedkar Jayanti 2025: देश भर में आज (14 अप्रैल) भारतीय संविधान के रचयिता बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की 135वीं जयंती मनाई जा रही है। आंबेडकर को अनुसूचित जातियों के सशक्तीकरण के लिए उनके आजीवन संघर्ष और संविधान का मसौदा तैयार करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है। एक दलित परिवार में 1891 में जन्मे आंबेडकर एक प्रतिभाशाली छात्र थे, जो विदेश में अध्ययन करने गए थे। भारतीय समाज में उनके द्वारा झेले गए भेदभाव ने उन्हें एक प्रतिबद्ध समाज सुधारक बना दिया। वह भारत के पहले कानून मंत्री थे। 1956 में उनका निधन हो गया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सोमवार को भीमराव आंबेडकर की जयंती के अवसर पर संसद भवन परिसर में उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी आंबेडकर की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, केंद्रीय मंत्री और सांसदों ने भी आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।

आंबेडकर या अंबेडकर...सही नाम क्या है?


हिंदी में बाबासाहेब का नाम लिखते समय लोग कभी 'अंबेडकर' लिखते हैं, तो कभी 'आंबेडकर'! लेकिन सही नाम क्या है? इसका समाधान खुद बाबासाहेब ने संविधान की हिंदी की मूल प्रति में किया है। वहां उन्होंने अपना हस्ताक्षर किया है।

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सिग्नेचर में उन्होंने अपना पूरा नाम साफ-साफ लिखा है, "भीमराव रामजी आंबेडकर!" इससे साफ हो गया है कि उनका हिंदी में नाम 'आंबेडकर' ही लिखना सही है। वहीं, बाबासाहेब ने भारतीय संविधान की अंग्रेजी वाली कॉपी में अपना सिग्नेचर BR Ambedkar के तौर पर किया है।

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राष्ट्रपति और पीएम ने दी श्रद्धांजलि

आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोगों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में आंबेडकर का योगदान आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्र निर्माण में समर्पण के साथ काम करने के लिए प्रेरित करता रहेगा। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि आंबेडकर ने अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद अपनी अलग पहचान बनाई और अपनी असाधारण उपलब्धियों के माध्यम से पूरे विश्व में सम्मान अर्जित किया। राष्ट्रपति ने कहा कि वह शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन और दलितों के सशक्तीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण साधन मानते थे।

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वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भीमराव आंबेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आंबेडकर की प्रेरणा के कारण ही देश आज सामाजिक न्याय के सपने को साकार करने के लिए समर्पित है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि आंबेडकर के सिद्धांत और विचार 'आत्मनिर्भर' एवं विकसित भारत के निर्माण को मजबूत और तेज करेंगे।

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प्रधानमंत्री ने कहा, "सभी देशवासियों की ओर से भारत रत्न पूज्य बाबासाहेब को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन। यह उन्हीं की प्रेरणा है कि देश आज सामाजिक न्याय के सपने को साकार करने में समर्पित भाव से जुटा हुआ है। उनके सिद्धांत एवं आदर्श आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण को मजबूती और गति देने वाले हैं।"

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