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Anna University Case: बिरयानी बेचने वाला ज्ञानशेखरन दोषी करार, 23 दिसंबर की वो रात जब यूनिवर्सिटी के भीतर छात्रा को बनाया अपना शिकार

यह घटना पिछले साल 23 दिसंबर को रात करीब 8 बजे हुई थी, जब कोट्टूर के रहने वाले ज्ञानशेखरन, जो परिसर के पास बिरयानी की दुकान चलाता था, कथित तौर पर यूनिवर्सिटी कैंपस में घुस आया और एक सुनसान जगह पर एक छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न किया और उसके पुरुष मित्र के साथ मारपीट की। ये मामला बताता है कि कॉलेज और यूनिवर्सिटी भी आज कल सेफ नहीं हैं

अपडेटेड May 28, 2025 पर 3:39 PM
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Anna University Case: बिरयानी बेचने वाला ज्ञानशेखरन दोषी करार, 23 दिसंबर की वो रात जब यूनिवर्सिटी के भीतर छात्रा को बनाया अपना शिकार

तमिलनाडु की एक महिला अदालत ने अन्ना यूनिवर्सिटी की छात्रा के यौन उत्पीड़न के सनसनीखेज मामले में बुधवार को आरोपी बिरयानी बेचने वाले ए. ज्ञानशेखरन को दोषी करार दिया। अभियोजन पक्ष ने अदालत से दोषी के लिए ‘‘अधिकतम सजा’’ का अनुरोध किया है। अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष ने मामले को साबित कर दिया और शक की कोई गुंजाइश नहीं है। साथ ही, अदालत ने यौन उत्पीड़न के इस मामले में ज्ञानशेखरन को उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों में दोषी पाया। दिसंबर 2024 की इस घटना ने राज्य को झकझोर कर रख दिया था।

यह घटना पिछले साल 23 दिसंबर को रात करीब 8 बजे हुई थी, जब कोट्टूर के रहने वाले ज्ञानशेखरन, जो परिसर के पास बिरयानी की दुकान चलाता था, कथित तौर पर यूनिवर्सिटी कैंपस में घुस आया और एक सुनसान जगह पर एक छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न किया और उसके पुरुष मित्र के साथ मारपीट की। ये मामला बताता है कि कॉलेज और यूनिवर्सिटी भी आज कल सेफ नहीं हैं।

महिला अदालत की जज राजलक्ष्मी ने कहा कि वह दो जून को मामले में फैसला सुनाएंगी। सरकारी वकील ने बाद में मीडिया को बताया कि अभियोजन पक्ष ने ज्ञानशेखरन के खिलाफ 11 आरोप दाखिल किए और दस्तावेजी और फोरेंसिक साक्ष्यों का इस्तेमाल करके सभी आरोपों को साबित कर दिया।


उन्होंने कहा, ‘‘आज, अदालत ने ज्ञानशेखरन को दोषी करार दिया। सजा के बारे में डिटेल दो जून को दिया जाएगा।’’

बुधवार को अदालत की कार्यवाही के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए उन्होंने संकेत दिया कि ज्ञानशेखरन ने यह दावा किया था कि वह परिवार में कमाने वाला अकेला व्यक्ति है और इसके आधार पर उसने अदालत से सजा में नरमी बरतने का अनुरोध किया।

उन्होंने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और अधिकतम सजा का अनुरोध किया।’’

कैसे घटी घटना?

यह घटना 23 दिसंबर की रात को हुई, जब छात्रा और उसका पुरुष मित्र यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर सीढ़ियों पर बैठे थे। मद्रास यूनिवर्सिटी के गेट से परिसर में घुसा ज्ञानशेखरन ने डिजिटल ट्रैकिंग से बचने के लिए जानबूझकर अपना फोन फ्लाइट मोड पर रखा था।

फोन पर बात करने का नाटक करते हुए, वह उन दोनों के पास पहुंचा, पुरुष छात्र पर हमला किया और झूठा दावा किया कि उसने उनका वीडियो रिकॉर्ड कर लिया है, और यूनिवर्सिटी अधिकारियों को इसकी शिकायत करने की धमकी दी।

इस मनगढ़ंत धमकी का इस्तेमाल करते हुए, उसने जबरन दोनों को अलग कर दिया और छात्रा को कैंपस के एक अलग हिस्से में ले गया। वहां, उसने उसका यौन उत्पीड़न किया और ब्लैकमेल करने के मकसद से अपने फोन पर इस कृत्य को रिकॉर्ड किया।

POSH (यौन उत्पीड़न की रोकथाम) समिति के एक यूनिवर्सिटी फैकल्टी मेंबर की मदद से पीड़िता ने तुरंत शिकायत दर्ज कराई। 25 दिसंबर को ग्रेटर चेन्नई पुलिस ने ज्ञानशेखरन को गिरफ्तार कर लिया।

जांच में पता चला कि आरोपी आदतन अपराधी था। कोट्टूरपुरम का रहने वाला ज्ञानशेखरन अड्यार ब्रिज के पास बिरयानी की दुकान चलाता था और उसके खिलाफ पहले भी कई मामले दर्ज थे, जिसमें डकैती, चोरी और 2011 में उसी कैंपस में भी यौन उत्पीड़न एक मामला शामिल था। जांच के दौरान, उसके पास से 100 से ज्यादा सोने के सिक्के और एक लग्जरी SUV जब्त की गई, जो आपराधिक गतिविधियों में उसकी गहरी संलिप्तता को दर्शाता है।

मामले की गंभीरता और जनता के दबाव के कारण, मद्रास हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए एक विशेष जांच दल (SIT) बना दी, जिसमें सभी सदस्य सीनियर महिला पुलिस अधिकारी शामिल थीं। टॉप रैंकिंग वाले IPS अधिकारियों के नेतृत्व में SIT ने CCTV फुटेज और लोगों की गवाही और फोरेंसिक साक्ष्य समेत गहन जांच की, आखिरकार 100-पेज की चार्ज शीट तैयार की। 29 गवाहों की गवाही ने अभियोजन पक्ष को एक मजबूत मामला बनाने में मदद की।

घटना से खड़ा हुआ राजनीतिक विवाद

गिरफ्तारी के तुरंत बाद, ज्ञानशेखरन की सत्तारूढ़ DMK नेताओं के साथ तस्वीरें सामने आईं, जिससे राजनीतिक विवाद पैदा हो गया। हालांकि DMK ने शुरू में किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया, लेकिन विपक्षी दलों ने तस्वीरें वायरल करके दावा किया कि वह पार्टी में एक पद पर हैं।

बाद में कुछ तस्वीरें सामने आईं, जिनमें ज्ञानशेखरन को उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन समेत DMK नेताओं के साथ दिखाया गया, जिससे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए। हालांकि डीएमके ने इस बात से इनकार किया कि वह पार्टी का सदस्य है, लेकिन इस विवाद ने सत्तारूढ़ पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया, खासकर 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले।

इस मामले ने राजनीतिक बवाल मचा दिया। तब बीजेपी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई के नेतृत्व में पार्टी ने इस घटना का इस्तेमाल सत्तारूढ़ DMK को चुनौती देने के लिए किया, जिसमें पार्टी पर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को शरण देने का आरोप लगाया गया।

अन्नामलाई ने एक नाटकीय विरोध प्रदर्शन भी किया, खुलेआम खुद को कोड़े मारे और 48 दिनों की भूख हड़ताल की घोषणा की, ताकि DMK सरकार के तहत कानून और व्यवस्था के पतन की ओर ध्यान आकर्षित किया जा सके।

इससे भी बड़ा बवाल तब मचा जब इस केस की FIR सामने आ गई, जिसमें संवेदनशील जानकारी शामिल थी, जो पीड़िता की पहचान को उजागर कर सकती थी। हालांकि, भारतीय कानून इस तरह के खुलासे पर रोक लगाता है, लेकिन दस्तावेज़ को पुलिस वेबसाइट के जरिए अस्थायी रूप से सार्वजनिक किया गया था।

पीड़िता को मिलेगा 25 लाख रुपए का मुआवजा

अदालत ने अन्ना यूनिवर्सिटी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि पीड़िता की शिक्षा बिना किसी रुकावट या वित्तीय बोझ के जारी रहे। इसके अलावा तमिलनाडु सरकार को 25 लाख रुपए का अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दिया गया।

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