Credit Cards

कैंसर, हार्ट, डायबिटीज की दवाएं होंगी महंगी! सरकार जल्द बढ़ा सकती है दाम

केंद्र सरकार द्वारा बढ़ाई गई दवाओं की कीमतों का असर बाजार में दो से तीन महीनों बाद दिखेगा, क्योंकि कंपनियों के पास पहले से 90 दिनों का स्टॉक मौजूद है। कच्चे माल की लागत में लगातार हो रही वृद्धि के चलते सरकार ने यह कदम उठाया है, जिससे दवा उद्योग को राहत मिलेगी

अपडेटेड Mar 27, 2025 पर 10:10 AM
Story continues below Advertisement
सरकार द्वारा कीमतें बढ़ाने के बाद इनका असर 2 से 3 महीनों में दिखेगा।

जल्द ही स्वास्थ्य सेवाओं पर महंगाई का असर दिखने वाला है। कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोग और एंटीबायोटिक्स जैसी आवश्यक दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी सूत्रों ने खुलासा किया है कि इन दवाओं की कीमतों में 1.7% तक की वृद्धि होने जा रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, फार्मा इंडस्ट्री में बढ़ती उत्पादन लागत और कच्चे माल के दामों में बढ़ोतरी इस मूल्य वृद्धि के प्रमुख कारण हैं। ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (AIOCD) के महासचिव राजीव सिंघल का कहना है कि इससे फार्मा कंपनियों को राहत मिलेगी, लेकिन आम जनता को अतिरिक्त आर्थिक बोझ उठाना पड़ेगा।

सरकार का दावा है कि ये वृद्धि राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) के दवा मूल्य नियंत्रण नियमों के तहत होगी, जिससे इसका प्रभाव सीमित रहेगा। बाजार में नई कीमतों का असर 2-3 महीनों में दिखने लगेगा।

क्यों बढ़ रही हैं दवाओं की कीमतें?


ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (AIOCD) के महासचिव राजीव सिंघल का कहना है कि बढ़ी हुई कीमतों से फार्मा इंडस्ट्री को राहत मिलेगी। कच्चे माल की लागत और अन्य खर्चों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिससे दवा कंपनियां प्रभावित हो रही हैं।

बाजार में नई कीमतों का असर कब दिखेगा?

सरकार द्वारा कीमतें बढ़ाने के बाद इनका असर 2 से 3 महीनों में दिखेगा। इसकी वजह ये है कि बाजार में पहले से ही 90 दिनों का स्टॉक मौजूद रहता है।

फार्मा कंपनियों पर नियमों के उल्लंघन के आरोप

फार्मा कंपनियां कई बार तय मूल्य वृद्धि सीमा का उल्लंघन करती हैं। संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने 307 मामलों में फार्मा कंपनियों को नियम तोड़ते हुए पाया है।

क्या कहता है सरकार का नियम?

दवाओं की कीमतें 2013 के ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर के तहत NPPA द्वारा तय की जाती हैं। कंपनियों को निर्धारित सीमा के अंदर रहकर ही कीमतें तय करनी होती हैं। राष्ट्रीय आवश्यक औषधि सूची 2022 के तहत मूल्य नियंत्रण की वजह से मरीजों को 3,788 करोड़ रुपये की सालाना बचत हुई थी।

इस बढ़ोतरी के बाद देखना होगा कि मरीजों पर इसका कितना असर पड़ेगा और सरकार इस मुद्दे को कैसे संतुलित करती है।

कुणाल कामरा को Tseries ने दिया झटका! विवादित वीडियो पर मारी कॉपीराइट स्ट्राइक, भड़के कॉमेडियन

 

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।